For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की -जो किताबों ने दिया वो फ़लसफ़ा अपनी जगह.

२१२२/२१२२/२१२२/२१२ 
.
जो किताबों ने दिया वो फ़लसफ़ा अपनी जगह.
लोग जिस पर चल पड़े वो रास्ता अपनी जगह.
.
फिर लिपटकर रो सकूँ मैं ये दुआ अपनी जगह
लौट कर आए न तुम मैं भी रहा अपनी जगह.
.
हक़ बयानी का सभी को हौसला होता नहीं  
संग हैं बेताब फिर भी आईना अपनी जगह.   
.
छोड़ कर मुझ को तेरा क्या हाल है यह तो बता
तेरे पीछे हश्र मेरा जो हुआ अपनी जगह.
.
ये वो मंजिल तो नहीं है आज पहुँचे हैं जहाँ
गो तुम्हारे साथ चलने का मज़ा अपनी जगह.
.
हम ने भी देखा है अपने दिल की बातें मान कर
है अमल अपनी जगह और मश्विरा अपनी जगह.
.
कामयाबी चाहिए तो सीख ले तू ये हुनर
रख ज़ुबां शीरीं हमेशा रख अना अपनी जगह.
.
एक मुट्ठी राख से ज़्यादा नहीं है ज़िन्दगी
दौलत-ए-दुनिया अलग है कुल जमा अपनी जगह.  
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित  

Views: 750

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 21, 2018 at 4:05pm

शुक्रिया आप हज़रात का ,
स्नेह बनाए रखिये
आभार 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 21, 2018 at 3:49pm

भई वाह,   बहुत अच्छी तरमीम हो गई , मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें ।

Comment by Samar kabeer on April 21, 2018 at 1:26pm

बहुत ख़ूब जनाब बहतर तरमीम,बधाई आपको ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 21, 2018 at 11:54am

आ. समर सर, तस्दीक अहमद साहब,
तीन मिसरे बदले हैं.. देखिएगा 
.
फ़लसफ़ा जो कुछ किताबों ने दिया अपनी जगह.
लोग जिस पर चल पड़े वो रास्ता अपनी जगह.
.
रो सकूँ मैं फिर लिपटकर ये दुआ अपनी जगह
लौट कर आए न तुम मैं भी रहा अपनी जगह.
.
एक मुट्ठी राख से ज़्यादा नहीं है ज़िन्दगी
जम’अ जो  कुछ भी किया जैसे किया, अपनी जगह  
.
सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2018 at 12:38pm

धन्यवाद आ. तस्दीक अहमद साहब,
आख़िरी शेर के   काफ़िये पर विचार करता हूँ..
तुम और वह पर    भी सोचता हूँ 
सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2018 at 12:36pm

धन्यवाद आ. समर सर,
आपसे चर्चा के बाद मैंने मिसरा बदल भी दिया था लेकिन ये भूल गया कि रास्ता भी हे पर खत्म होता है.. अभी अलीबाग पहुँचा हूँ.. जल्दी ही कुछ सोचकर तरमीम करता हूँ 
दूसरे शेर का सानी यूँ कर रहा हूँ ..
.
रो सकूँ मैं फिर लिपटकर ये दुआ अपनी जगह 
.
जमा का भी कुछ करता हूँ ..
बस यही बात बार बार प्रेरित  करती है कि OBO पर आया जाय, लगातार सीखा जाय 
सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2018 at 12:32pm

धन्यवाद आ. डॉ आशुतोष जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2018 at 12:31pm

धन्यवाद आदरणीया नीलम जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2018 at 12:31pm

धन्यवाद आ. हर्ष जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2018 at 12:31pm

धन्यवाद आ. बसंत जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आइए…See More
11 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी आभार संज्ञान लेने के लिए आपका सादर"
12 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए सादर"
17 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी आभार आपका सादर"
18 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. अमित जी ग़जल पर आपके पुनरागमन एवम् पुनरावलोकन के लिए कोटिशः धन्यवाद ! सुझावानुसार, मक़ता पुनः…"
44 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी, बहुत धन्यवाद। आप का सुझाव अच्छा है। "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service