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शट अप
ओफ्फ हो ! क्या माँ आप हरदम ज़ोर-ज़ोर से बोलती हो । ये गाँव नहीं है ,वीआईपी कॉलोनी है । यहाँ सभी वेल एजुकेटेड लोग रहते हैं ,धीमे स्वर में बोलते है । वेल कल्चर हैं यहाँ , वेल कल्चर समझी ।"
" मगर मुझे एक बात समझ में नहीं आई। जब से यहाँ आई हूँ देख रही हूँ कि कोई किसी से बतियाता है न बातचीत करता है । क्या यहाँ की वेल कल्चर है ?"
" शट अप !!"
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

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Comment by Mohammed Arif on November 1, 2017 at 2:25pm
रचना के अनुमोदन और हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुशील सरना जी ।
Comment by नाथ सोनांचली on November 1, 2017 at 1:55pm
आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन, वेल कल्चर पर बढ़िया व्यंग कस आपने,बात सही है, जब कोई किसी से बात ही नहीं करेगा तो आवाज कहा से आएगी। इस प्रस्तुति पर मेरी अनन्त बधाइयाँ हाजिर है।सादर
Comment by TEJ VEER SINGH on November 1, 2017 at 1:43pm

हार्दिक बधाई आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी।बेहतरीन लघुकथा।

Comment by Sushil Sarna on November 1, 2017 at 12:41pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब वेल कल्चर को सही  परिभाषित करती इस सुंदर लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई सर। 

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