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कब तक मूर्ख बनाएगा (गीतिका/ग़ज़ल 'राज')

2222 2222 ,2222 222

यह  भी खाया वह  भी खाया ,कब तक खाता जाएगा 

एक दिवस तो उगलेगा सब ,कब तक पेट पचाएगा 

 

अपनी ढपली अपना दुखड़ा ,कब तक राग सुनाएगा 

यह  करता हूँ वह करता हूँ ,कब तक ढोल बजाएगा 

 

झूठी बातों झूठे वादों ,से कब तक बहलाएगा 

परख रही है जनता तुझको,कब तक मूर्ख बनाएगा

 

शेर खड़े हैं  दरवाजे पर,छुपकर तू बैठा चूहे 

हिम्मत है तो बाहर आजा,कब तक नाक कटवाएगा 

 

सरहद अपनी जाग रही है ,नजरें तेरी हरकत पर

एक कदम  आगे तू आया,सीधा ऊपर जाएगा   

 

अपनी हद में खूब दहाड़ा,भागा पर  गीदड़ बनकर     

भूल गया इतिहास पुराना,फिर से मुंह की खाएगा 

 

डूब रहा दूजा कोई तू ,हँसता देख किनारे पर 

तेरे दुख में कौन भला कल ,अपना हाथ बढ़ाएगा

 

रिश्ते बनते सदियों में हैं , पल में मत तुम खत्म करो 

आज अगर ये उलझ गए कल, कौन पुनः सुलझाएगा 

 

 धन दौलत का लालच मत कर,साथ नहीं कुछ जाना है 

 खाली हाथ ही आया था तू , खाली हाथ ही जाएगा

मौलिक एवं अप्रकाशित   

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Comment by rajesh kumari on August 7, 2017 at 11:27am

आद० रवि भैया ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका बहुत बहुत शुक्रिया | आपने सही कहा आद० समर भाई जी से बहुत सी बातें क्लीयर होती हैं |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 7, 2017 at 11:25am

आद० समर भाई जी ग़ज़ल विधान में आपसे बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है आप इसी तरह मार्ग दर्शन करते रहिये खुदा आपको आरोग्य सुख से समृद्ध करता रहे स्वस्थ रहें सुखी रहें आमीन 

Comment by Ravi Shukla on August 6, 2017 at 1:08pm

आदरणीय राजेश जी बहुत अच्छी ग़ज़ल आपने कही काफी चर्चा भी हुई है सीखने को मिला इस गजल के लिए बहुत-बहुत बधाई ।सादर

Comment by Samar kabeer on August 1, 2017 at 6:55pm
बहना मैंने अपनी प्रतिक्रया में इसी लिये इसे इंगित नहीं किया था ।
ऐब-ए-तनाफ़ुर दो तरह के होते हैं,एक साधारण जो चल जाता है,और दूसरा असाधारण जो नहीं चलता,आपके मिसरे में साधारण है, जो मिसरे की ज़रूरत है,इसलिये चल जायेगा,'नाक कटवायेगा'को जुमले में इस्तेमाल करेंगे तो इसी प्रकार से करेंगे,और दूसरी बात ये कि ये मुहावरा भी है, इसलिये इसे बदलना मुमकिन नहीं,ऐसे ही रहने दें ।
आख़री मिसरा आपने मूल पोस्ट में सुधार लिया,यहाँ भी सुधारिये ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 1, 2017 at 6:38pm

आद० लक्ष्मण धामी भैया ,आपका बहुत बहुत शुक्रिया. 


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Comment by rajesh kumari on August 1, 2017 at 6:37pm

आद० सुरेन्द्र जी ,आपका बहुत बहुत शुक्रिया आपकी बात का जबाब मोहतरम समर भाई जी ने दे दिया है उसमे तनाफुर दोष है 


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Comment by rajesh kumari on August 1, 2017 at 6:36pm

आद० गुरप्रीत सिंह जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई बहुत- बहुत शुक्रिया |


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Comment by rajesh kumari on August 1, 2017 at 6:35pm

आद०  बृजेश कुमार 'ब्रज'  जी आपका तहे दिल से शुक्रिया |


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Comment by rajesh kumari on August 1, 2017 at 6:34pm

मोहतरम समर भाई जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ अंतिम मिसरा तो मूल पोस्ट में सुधार चुकी हूँ मार्ग दर्शन के लिए कोटि कोटि आभार |एक बात और --इस मिसरे में ---कब तक नाक कटाएगा --में एब- ए-तनाफुर है ये मुझे पता था किन्तु इसका मैं कुछ कर न सकी और ये कहन बहुत जरूरी  था एसे में क्या कर सकते हैं क्या ये बहुत बड़ा दोष है या मिसरे की डीमांड के अनुसार चल जाएगा ? आप मार्ग दर्शन करें 


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Comment by rajesh kumari on August 1, 2017 at 6:29pm

मोहतरम खुर्शीद खैराड़ी जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई बहुत- बहुत शुक्रिया| 

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