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सांसारिकता (लघुकथा) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

"पढ़-लिख गये हो, अब क्या करोगे सरकारी नौकरी या प्राइवेट?" बुज़ुर्ग पड़ोसी ने युवक से पूछा।

"नहीं, नौकरी तो नहीं करूंगा!" टेढ़ा सा मुँह बनाकर युवक ने कहा।

"तो क्या दुकान खोलोगे, धंधा-व्यापार करोगे? कौन सा?"

"धंधा! धंधा तो कतई नहीं, इसके लिए पर्याप्त धैर्य मुझमें है ही नहीं!"

"तो फिर क्या बाप की छाती पर ही बैठे रहोगे, पढ़ने-लिखने के बाद भी?" बुज़ुर्ग ने उसको घूरते हुए कहा।

"यह कैसी बात कह रहे हैं आप ? पहले तो मैं दुनियादारी सीखूंगा !"

"तो अब तक क्या कर रहे थे?"

"आपको मालूम तो है न कि 'पढ़ाई-लिखाई' कर रहा था, डिग्रियां ले रहा था! दुनियादारी कहां सीख पाया ढंग से!"

"तो बेटा, उसके लिए ही तुम्हें नौकरी या धंधा कुछ तो शुरू करना ही होगा न !"

"क़िताबी ढंग से या दुनिया के ढंग से?" यह कहते हुए युवक की आँखें कुछ फैल सी गईं थीं।

"लोग सब कुछ बता देंगे या वक़्त सब कुछ सिखा देगा!" बुज़ुर्ग ने युवक की पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा।


(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by TEJ VEER SINGH on December 11, 2016 at 5:03pm

बेहतरीन प्रस्तुति। हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 10, 2016 at 9:32pm
आपने भी मेरी इस लघुकथा पर समय देकर प्रोत्साहित किया, बहुत ख़ुशी व हौसला अफ़ज़ाई हुई। तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब मिथिलेश वामनकर साहब।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 10, 2016 at 9:29pm
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर स्नेहिल प्रोत्साहन देने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीया नीता कसार जी।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 10, 2016 at 9:27pm
मेरी यह लघुकथा आपको पसंद आई, मेरी एक और कोशिश सफल हुई। रचना का अवलोकन करने व स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब समर कबीर साहब।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 8, 2016 at 11:42pm

आदरणीय उस्मानी जी, बढ़िया लघुकथा लिखी है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें. सादर 

Comment by Nita Kasar on December 8, 2016 at 2:54pm
दुनियादारी सिखाती उत्तम कथा।लोग सब बता देंगे या वक्त सब कुछ सिखा देगा ।बधाई आपको आद० शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी ।
Comment by Samar kabeer on December 8, 2016 at 2:40pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लगी आपकी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

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