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ग़ज़ल (ज़िंदगी के लिए )

ग़ज़ल (ज़िंदगी के लिए )

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२१२ ---२१२ --२१२ --२१२

मेरे महबूब तेरी ख़ुशी के लिए ।

ले लिए हम ने गम ज़िंदगी के लिए ।

गौर से अपने कूचे पे डालें नज़र

मुंतज़िर है कोई आप ही के लिए ।

मुस्कराता रहे ज़ुल्म सह के सदा

कब है मुमकिन हर इक आदमी के लिए ।

इक क़लम और कागज़ ही काफी नहीं

लाज़मी है सनम शायरी  के लिए ।

ऐसे आशिक़ हुए हैं रहे इश्क़ में

जान दे दी जिन्होंने किसी के लिए ।

जो किसी से भी करता नहीं है वफ़ा

 हम ने उसको चुना दोस्ती के लिए ।

जो न कर पाए तस्दीक वादा वफ़ा

उसको चुनते हैं क्यों रहबरी के लिए

(मौलिक व अप्रकाशित )    

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Comment

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 14, 2016 at 8:52pm

 मोहतरम जनाब  सुशील सरना   साहिब    , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और  हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया --महरबानी 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 14, 2016 at 8:51pm

 मोहतरम जनाब  समर कबीर   साहिब  आदाब  , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और  हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया --महरबानी 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 14, 2016 at 8:50pm

 मोहतरम जनाब  गिरिराज  साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और  हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया --महरबानी 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 14, 2016 at 8:49pm

जनाब श्याम नारायण साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया --

Comment by Sushil Sarna on July 14, 2016 at 2:34pm

मेरे महबूब तेरी ख़ुशी के लिए ।
ले लिए हम ने गम ज़िंदगी के लिए ।
गौर से अपने कूचे पे डालें नज़र
मुंतज़िर है कोई आप ही के लिए ।

वाह क्या खूब अहसास उकेरे हैं आपने आदरणीय .... दिली दाद कबूल फरमाएं।

Comment by Samar kabeer on July 14, 2016 at 12:25pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है, शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 14, 2016 at 12:00pm

आदरणीय तस्दीक भाई , बेहतरीन गज़क हुई है , हरेक शेर बहुत उम्दा कहे हैं ! दिली मुबारक बाद कुबूल फरमायें ।

Comment by Shyam Narain Verma on July 14, 2016 at 10:55am
बहुत खूबसूरत अशआर ...दिल से बधाई 

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