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जीने की राह (लघुकथा)

'करूं या न करूं?' अनिर्णय की स्थिति में वह बंद कमरे में आइने के सामने आराम कुर्सी पर बहुत ही तनावग्रस्त बैठा हुआ था। तभी शैतान उसके दिमाग़ पर हावी होते हुए बोला- "अब क्या हुआ बंधु! इन्टरनेट पर सत्य कथायें पढ़कर भी कोई तरीक़ा नहीं अपना सके! मेरी बात मान लो, फाँसी ही सबसे उत्तम तरीक़ा है! आजकल इसी का ट्रैंड है युवा पीढ़ी में!"
"सही कह रहे हो तुम! देखो मैंने पूरी तैयारी भी कर ली थी, फाँसी लगाता या इस पाँचवीं मंज़िल से कूंद कर काम तमाम कर लेता, लेकिन ..."
"लेकिन क्या?" शैतान ने कुछ क्रोधित होकर पूछा।
लैपटॉप की स्क्रीन पर नज़र डालते हुए उसने कहा- "यह लघुकथा पढ़कर मैंने तय कर लिया कि इस तरह से मरने के बाद दूसरी दुनिया की अदालत में 'भगोड़ा' करार दिए जाने और नरक का कष्ट भोगते रहने से तो अच्छा इसी दुनिया के संघर्षों के साथ जीना है!"
"मतलब, अब तुम ख़ुदकुशी नहीं करोगे, मुझे शर्मिन्दा करोगे!" - शैतान ने उसके सिर में तेज़ दर्द पैदा करते हुए कहा - " ये लघुकथा क्या बला है? अब ये भी मेरे काम बिगाड़ेंगीं! मेरी सारी मेहनत बेकार गई न, झूठे -ग़द्दार कहीं के!"
"तुम मुझे झूठा और ग़द्दार क्यों कह रहे हो!" उसने फाँसी की रस्सी दूसरी ओर फेंकते हुए कहा।
"ज़िन्दगी के संघर्षों से डरकर मौत को गले लगा रहे थे; मौत को ठुकरा दिया! अपने माँ-बाप और परिवार से जो वादे किए थे, वे भी सब झूठे थे न!
न तुमने मौत हासिल की और न ही अपनों का विश्वास और प्यार! तो हुए न तुम झूठे और ग़द्दार!" इतना कहकर शैतान उसके दिमाग़ से उतर कर भाग गया ।
अब वह तनाव मुक्त सा महसूस कर रहा था। उसने अपना लैपटॉप उठाया और आराम कुर्सी पर झूलते हुए फिर वही लघुकथा पढ़ने लगा!


[मौलिक व अप्रकाशित]

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Comment by pratibha pande on June 23, 2016 at 7:59pm

वैसे इस कथा की बधाई की आधी पात्र  राहिला जी हैं  जिनकी लघुकथा से प्रेरित हो नायक शैतान को  हराता है ,कथानाक आपने अच्छा चुना है  पर जिस पाठक ने कथा भगोड़े नहीं पढ़ी  उसे कुछ असमंजस जरूर होगा ... इस नए कलेवर की  प्रस्तुति  के लिए हार्दिक बधाई आपको आदरणीय उस्मानी जी  

Comment by Rajendra kumar dubey on June 23, 2016 at 11:48am
आदरणीय उस्मानी जी एक अच्छी लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई।
Comment by Shyam Narain Verma on June 23, 2016 at 10:54am

मन में उठते भाव को आपने बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है | 

बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति , बधाई आप को | सादर 

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