For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रार्थना ( लघुकथा )

जैसे ही वह घर से निकलने को हुई ,बंटी भी साथ जाने की जिद करने लगा I सोचा था आज पैदल ही जायेगी सब्जिया लेने I थोड़ी दूर मुख्य सड़क तक तो चलना था वहीं ताज़ी सब्जिया मिल जाती थीं I पर ये बंटी भी न !! अब सब्जियों के साथ इसे भी टांगना पड़ेगा गोद में ,पैदल तो चलने से रहा ये !वह भुनभुनाई थी कि ससुर जी बोल पड़े -' ले जाओ न बहू !नहीं तंग करेगा ये !जनता हु मैं I 'उन्होंने उसके सिर पर स्नेह भरा हाथ फिराते हुए कहा I
' एयेए .....I 'बंटी ख़ुशी से अपनी ही जगह पर नाच उठा I वह मन ही मन और भन्ना उठी थी I कहना तो ये चाहती थी कि अभी चंद दिनों में ही आप जान गए इसे ,पर कुछ सोच कर चुप रही I
रास्ते भर बंटी सवाल पर सवाल पूछता रहा ,साथ ही बहुत सारी बातें भी बताता रहा I वह आश्चर्य चकित थी की कुछ समय पहले तक चुपचाप सा रहने वाला बंटी अचानक इतना बातूनी और जानकारी से भरपूर कैसे हो गया था ?पर बदलाव उसे अच्छा लगा था I फिर यह सोच कर उसने अपनी पीठ स्वयं ही थपथपा ली की लगता हैं की ये उसके ही सजग निर्णय का कमाल था की उसने बंटी को औकात न होने के बावजूद उसे उस तथाकथित अच्छे स्कूल में डाला था I बंटी अचानक चलते चलते रुक गया और अपनी आँखें बंद कर और हाथ जोड़ कुछ बुदबुदाने लगा था I वह विस्मय से उसे देखने लगी थी I एक मिनट बाद उसने आँखे खोली I
पूछने पर बोल पड़ा I
' मां ,तुमने देखा ? अभी यहाँ से एक एम्बुलेंस गुजरी I '
' हां तो ! इसमें नया क्या हैं ? और तुम्हे कैसे पता ? मैंने तो नही बताया कभी I '
'दादाजी ने मुझे बताया I वे कहते हैं इसमें बहुत बीमार आदमी को अस्पताल लें जाते हैं ,तो मैं उसके लिए प्रार्थना कर रहा था I '
'......'
वह फिर बोला 'दादाजी कहते हैं क्या पता कब किसकी प्रार्थना भगवन जी सुन लें और वह ठीक हो जाए I '
उसके चेहरे पर उसे किसी देवदूत का सा नूर झलकता सा लगा I
अनायास ही मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया I सोचने लगी ,आज जब लोग एम्बुलेंस को रास्ता देना भी आवश्यक नहीं समझते ऐसे में मेरे बेटे में इतनी संवेदनशीलता !!
आज पहली बार उसे बंटी के दादाजी का अपनी पत्नी की मृत्यु उपरांत गाँव से आकर उनके साथ रहना नहीं अखर रहा था I

.
मीना पाण्डेय
मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 873

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 3, 2015 at 10:54pm

आदरणीया मीना जी बहुत प्रभावकारी और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने. हार्दिक बधाई 

Comment by meena pandey on December 3, 2015 at 3:16pm

आ pratibha pande जी रचना पर आपकी स्नेहिल उपस्थिति और सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by meena pandey on December 3, 2015 at 3:13pm
रचना पर आपकी उपस्थिति एवं सराहना युक्त प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद आ तेजवीर जी
Comment by meena pandey on December 3, 2015 at 2:59pm

 बहुत  बहुत  धन्यवाद  आपका  आदरणीय jyotsana kapil  जी    

Comment by pratibha pande on December 3, 2015 at 11:23am

घर में  बुजुर्गों की उपस्थिति की एहमियत अगर समझ आ जाए तो बच्चे युवा सभी के लिए उत्तम है , बहुत अच्छी रचना ,कसे हुए शिल्प के साथ ,हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया मीना जी 

Comment by TEJ VEER SINGH on December 3, 2015 at 10:51am

हार्दिक बधाई आदरणीय मीना जी!परिवार में बुजुर्गों की अहमियत उस बूढे पेड की तरह होती है जिस पर फ़ल आने बंद हो जते हैं पर वह छाया तो जीवन भर देता ही है!बहुत शानदार लघुकथा!

Comment by jyotsna Kapil on December 3, 2015 at 6:35am
बच्चों के लिए बड़ो के महत्व को दर्शाती हुई खूबसूरत कथा आदरणीय मीना पण्डे जी।दाद कुबूल फरमाएं।
Comment by meena pandey on December 2, 2015 at 9:40pm

 बहुत  बहुत  धन्यवाद  आपका  आदरणीय satvinder kumar जी    

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 2, 2015 at 8:48pm
सुंदर एवम् भावपूर्ण रचना।बड़ों की महता जीवन पर्यन्त बनी रहती है।
हार्दिक बधाई आदरणीया इस भावपूर्ण रचना के लिए।

कुछ टंकण सम्बन्धी अशुद्धियों को छौड़ दें तो बहुत अच्छी लघुकथा बनी है ये।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
21 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service