For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

होश खोने की तलब है और मयखाना वहाँ

होश खोने की तलब है और मयखाना वहाँ।
है असम्भव आदतों को छोड़ दे पाना यहाँ।।

किस तरह तन्हा गुज़ारें ज़िंदगी का ये सफ़र।
नींद आँखों में नहीं कैसे हो सो जाना यहाँ।।

राह सुनी ही रही अब तक निगाहें हैं खुली।
आज भी हासिल रहा उनका नहीं आना यहाँ।।

चैन का आलम न पूछें नब्ज़ में तूफ़ान है।
है कठिन बरसात के मौसम को रुकवाना यहाँ।।

हसरतों की नाव सागर के हवाले छोड़ना।
एक मांझी की ख़ता मुश्किल है बतलाना यहाँ।।

कोई उनको बोलिये नैनों के सागर के बिना।
इस तरह "पंकज" का अब मुश्किल है खिल जाना यहाँ।।

मौलिक अप्रकाशित

Views: 712

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 27, 2015 at 9:50am
कान्त रॉय मैम,रविशुक्ल सर, गिरिराज सर और हर्ष सर आप सभी लोगों का आभार कि आप लोगों नें मेरा उत्साहवर्धन किया; मैं स7धरोंनके लिए पयसरत हूँ बस आप लोगों का मार्गदर्शन प्राप्त होता रहे।
Comment by Harash Mahajan on August 27, 2015 at 8:55am
आदरणीय पंकज जी अच्छे भावों में कही है आपने ये ग़ज़ल । "किस तरह तनहा गुजारें..........सो जाना यहां" अति सूंदर । दाद कबूल कीजियेगा ।सादर ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 27, 2015 at 7:35am

आदरणीय , बहुत अच्छा प्रयास   हो रहा है , आपको हार्दिक बधाई । बह्र  का उल्लेख कर दिया करें , ताकि पाठको को आसानी हो । आ. मिथिलेश भाई जी की सहाल उचित है , खयाल कीजियेगा ।

Comment by Ravi Shukla on August 26, 2015 at 2:01pm

आदरणीय पंकज जी अच्‍छी ग़ज़ल कही है आपने कुछ कमी रह गई थी उसके बारे में पहले ही चर्चा हो चुकी है । आभार

Comment by kanta roy on August 25, 2015 at 9:17am

हसरतों की नाव सागर के हवाले छोड़ना। एक मांझी की ख़ता मुश्किल है बतलाना यहाँ।।....... बहुत खूब कही है ये बात भी आदरणीय पंकज कुमार जी ..... बधाई हो

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 24, 2015 at 12:30pm
सादर आभार वामनकर सर; मैं आप लोगों से पहले क्यों नहीं जुड़ा ?

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 24, 2015 at 11:41am

आदरणीय पंकज जी, आपका मतला है-

होश खोने की तलब है और मयखाना वहाँ।
है असम्भव आदतों को छोड़ दे पाना यहाँ।।

इसमें 'वहाँ' और 'यहाँ' पर काफिया निर्धारित हो रहा है. इसलिए इसे सुधार कर काफिया आना करने के लिए पहले मिसरे में भी 'वहाँ' को  'यहाँ' करना होगा-

होश खोने की तलब लेकिन न मयखाना यहाँ
है असम्भव आदतों को छोड़ दे पाना यहाँ।।

वैसे 'छोड़ दे पाना' भी व्याकरणिक त्रुटी लग रही है किन्तु थोड़ा सशंकित हूँ. सादर 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 24, 2015 at 10:27am
वामनकर सर बदल दिया
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 24, 2015 at 10:22am

पंकज जी

सुन्दर प्रयास  !

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 23, 2015 at 11:20pm
आदरणीय समर वामनकर सर आप दोनों लोगों को प्रणाम। मैं ग़ज़ल/ गीत की पाठशाला का एक विद्यार्थी मात्र हूँ।
एक वादा ज़रूर है कि आप लोगों द्वारा और ओबीओ परिवार के सुझावों पर अवश्य कार्य करूंगा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
22 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service