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बस प्यार ही जिंदगी होवे (गीत)

तू प्यार की राहों में चलना

बस प्यार ही जिंदगी होवे

तू यार तो सच्चा न हो

पर प्यार तो सच्चा होवे,-2

तू देख के लगे फकीरा

पर दिल का फ़कीर न होवे,

तू यार तो सच्चा न हो

पर प्यार तो सच्चा होवे,....2

सपनो की इस जिंदगी में

रूप सुहाने लगते हैं,

प्यार बिना कहीं चैन न आवे

ना ही दिन ये कटते हैं,

इन सुहानी रातों में

सजना साकी लगतें हैं,

रात भर कभी  नीद न आवे

कभी दिन में सपने सजते हैं..2

तू भूल जाए जग सारा

पर इश्क का अश्क न खोवे,

तू देख के लगे फकीरा

पर दिल का फ़कीर न होवे,..2

तू प्यार की राहों में चलना

बस प्यार ही जिंदगी होवे !!

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित"

 

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Comment

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Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 29, 2014 at 7:19pm

हरि प्रकाश जी

बड़ा ही भावपूर्ण गीत है  i  मुझे मजा आया i   सादर i


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 29, 2014 at 3:23pm

आदरणीय हरिप्रकाश जी, मैं बहुत गहराई से इस विधा को तो नहीं जानता, किन्तु मुझे जहाँ तक पता है गीत में एक मुखड़ा और एक या एक से अधिक अंतरा होता है. शेष विधा तो मैं आपसे ही जानना चाहता हूँ . सादर .

Comment by Hari Prakash Dubey on December 29, 2014 at 3:05pm

"आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi सर, क्या  भाव संगीत में शास्त्रीय संगीत के समान  कोई बन्धन होता है ? भाव संगीत का मुख्य और एकमात्र उद्देश्य कानों को अच्छा लगना है, बाकी अंतरा ..जहाँ -जहाँ 2 है  उसका तात्पर्य दुहराने से है , वैसे अगर आपके विचार मैं इसमें कुछ सुधार हो सकता है तो बताने कृपा करै ! सादर आभार आपने संज्ञान लिया !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 29, 2014 at 2:21pm

आदरणीय हरिप्रकाश जी, तनिक समझना चाहता हूँ, क्या एक ही अंतरा इस गीत में है ?

कृपया ध्यान दे...

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