For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इक ग़ज़ल (आईने भी ज़बान रखते हैं !! )

आज हम भी मकान रखते है
साथ अपना जहान रखते है !!

प्यार से देख लो जरा तुम भी
आईने भी ज़बान रखते हैं !!

जिंदगी में कमी नहीं कोई
इसलिए कुछ  गुमान रखते है !!

तुम हमें छोड़ कर नहीं जाना |
तुम में* हम अपनी*जान रखते हैं ||

साथ उनके रहे सभी अपने,
खास सबका भी* मान रखते है !!

फूल कितने खिलाय आँगन में
वो बहुत घर का* ध्यान रखते है !!

है सभी काम का पता उनको !
वो तजुर्बा तमाम रखते है !!  


(अप्रकाशित और मौलिक )
** आलोक **

मथुरा

Views: 710

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 28, 2014 at 2:25pm

आदरणीय शिज्जु भाई ... जहाँ मात्रा गिराई जाती है वहां चिन्हित करना अच्छा प्रयोग है इससे हम जैसे नौसिखियों को मात्रा गिराने के उदाहरण सहजता से मिल जायेंगे... मैं खुद ऐसा ही प्रयोग तरही मुशायरे में  अपनी टिप्पणी में कर चुका हूँ बस मैं अंडरलाइन करता हूँ जैसे  

\\खास सबका भी मान रखते है \\


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 28, 2014 at 1:18pm
बात सही हैं उसके लिए सितारों की ज़़रूरत है क्या??? पाठक स्वयं समझ जायेंगे कि मात्रा कहां कहां गिरी है

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 27, 2014 at 9:45pm

आदरणीय आलोक मित्तल जी बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने .....बधाई स्वीकार करें।

Comment by somesh kumar on December 27, 2014 at 8:10pm

पहले ,तीसरे और अंतिम शे'र विशेष पसंद आए ,सद्प्रयास हेतू बधाई 

Comment by Anurag Prateek on December 27, 2014 at 8:05pm

है सभी काम का पता उनको !
वो तजुर्बा तमाम रखते है !! 

इतनी कामयाब ग़ज़ल में,‘तमाम’ काफ़िया कहाँ से ले आए मोहतरम? 

Comment by Anurag Prateek on December 27, 2014 at 8:03pm

सितारे के पास मात्रा गिरी है शिज्जू जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 27, 2014 at 6:38pm

आदरणीय आलोक मित्तल जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, खासतौर पर मतला और ये शेर अच्छा लगा

जिंदगी में कमी नहीं कोई
इसलिए कुछ गुमान रखते है !!

लेकिन बीच बीच में सितारे क्यों हैं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय रिचा जी बधाई स्वीकार करें"
22 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय मिथिलेश जी बधाई स्वीकारें"
23 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इस ज़र्रा नवाज़ी का सहृदय शुक्रिया आदरणीय धामी सर"
28 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इस ज़र्रा नवाज़ी का सहृदय शुक्रिया आदरणीय"
28 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपके मंच के बेहद महान आदरणीय सदस्य सौरभ जी में ये अहं नहीं तो और क्या है_ 1  समर साहब से तीन…"
34 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आभार। इंगित मिसरे पर…"
57 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई आजी तमाम जी , सुंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बेहद दिलकश ग़ज़ल ! शानदार! ढेरो दाद।"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"//आपको फिलहाल कोई ऐसी किताब पढ़नी चाहिए जो आपका अहं कम कर सके//  आज़ी तमाम महोदय ! इस…"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"//उसकी तारीफ़ में जो कुछ भी ज़ुबां मेरी कहेउसको दरिया-ए-मुहब्बत की रवानी लिखना// वाह! नयापन है इस…"
2 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ! अच्छी ग़ज़ल से मुशाइरा आरंभ किया आपने। बहुत बधाई! // यूँ वसीयत में तो बेटी…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हर कहानी को कई रूप रुहानी लिखना जाविया दे कहीं हर बात नूरानी लिखना मौलवी हो या वो मुल्ला कहीं…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service