For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन को दुर्बल क्यों करें'क्षणिक दीन अवसाद।
आगे देखो है खड़ा'आशा का आह्लाद।।

रिश्ते भी अब हो गये'ज्यों दैनिक अखबार।
आज पढ़ लिया प्रेम से'कल फिर से बेकार।।

ह्रदय प्रेम से भर गया'देखा अनुपम प्यार।
कामदेव दुन्दुभि लिये'आये मेरे द्वार।।

खुद को भी आवाज़ दे,खुद को ज़रा पुकार!
एक रात तू भी कभी,खुद के साथ गुजार।!

आप कहो कुछ मै कहूँ'बातें हो दो चार।
तुम खुश मैं भी खुश रहूँ'बना रहेगा प्यार।।
********************************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 599

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on November 13, 2014 at 2:43pm

बहुत  बहुत आभार आदरणीय गिरिराज  जी///सादर  

Comment by ram shiromani pathak on November 13, 2014 at 2:43pm

अमूल्य सुझाव  हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी  जी///सादर 

Comment by ram shiromani pathak on November 13, 2014 at 2:41pm

बहुत  बहुत आभार आदरणीय विजय शंकर जी///सादर  

Comment by ram shiromani pathak on November 13, 2014 at 2:41pm

अमूल्य सुझाव व् अनुमोदन हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया प्राची  जी///सादर  

Comment by ram shiromani pathak on November 13, 2014 at 2:39pm

अमूल्य सुझाव व् अनुमोदन हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण जी///सादर  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 12, 2014 at 9:49am

प्रिय राम शिरोमणि जी 

सभी दोहों में बहुत सुन्दर बात कही है आपने...

तीसरे दोहे में आतंरिक शब्द संयोजन को एक बार पुनः अवश्य ही देखें और बताएं की गेयता क्यों और कहाँ बाधित हो रही है..पांचवे दोहे पर तो आदरणीय प्रधान सम्पादक जी बहुत स्पष्ट रूप में अपेक्षित सुधार इंगित कर ही चुके हैं.

आपको सतत गंभीर अभ्यास करते देखना बहुत सुखद लगता है.

शुभ कामनाएं 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 11, 2014 at 9:20am

खुद को भी आवाज़ दे,खुद को ज़रा पुकार!
एक रात तू भी कभी,खुद के साथ गुजार  -- बहुत खूब , आदरणीय राम भाई बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 10, 2014 at 9:44pm

दोहों पर बढ़िया प्रयास है विद्वद्जनो  के सुझाव काबिले गौर हैं जो आप अवश्य ठीक कर लेंगे ,हार्दिक बधाई आपको 

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 10, 2014 at 9:08pm

रिश्ते भी अब हो गये'ज्यों दैनिक अखबार।
आज पढ़ लिया प्रेम से'कल फिर से बेकार।
बहुत सुन्दर एवं सटीक दोहे हैं.रचना के लिए बधाई।

Comment by ram shiromani pathak on November 10, 2014 at 2:44pm
आदरणीय योगराज जी अमूल्य सुझाव हेतु बहुत आभार आपका।।सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service