For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल..चांद बढ़ता रहा..

चाँद बढ़ता रहा...... चाँद घटता रहा.
यूँ कलेजा हमारा ........धड़कता रहा.
--
उलझने रात सी ....क्यों पसरती रहीं.
वो दरम्याँ बदलियों .... भटकता रहा.
--
टिमटिमाता सितारा रहा... भोर तक. 
शब सरे आसमा को.... खटकता रहा.
-- 
उस हवेली पे जलता था... कोई दिया
बन पतंगा सा उस पे.... फटकता रहा.
--
चन्द साँसें अभी हैं...... बचीं रात की.
कोई सपनों में फिर भी. अटकता रहा.
--
उस झरोखे से दी थी..... किसी ने सदा.
सर्प रस्सी से तुलसी .......लटकता रहा.
**हरिवल्लभ शर्मा दि.05.09.2014

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 828

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by harivallabh sharma on September 7, 2014 at 1:22am

आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आपने मतले में ईता दोष बताया तो संभवतः मुझे भी अंदेशा तो है....ग़ज़ल में सभी शेरों में +अता का निर्वाह हुआ है..इस कारन ..फिर भी आप और विद्वज्जन जैसा निर्देश दें..आपने सुझाया ..बहुत आभार.

Comment by harivallabh sharma on September 7, 2014 at 12:25am

आदरणीय Shyam Narayan Verma जी ग़ज़ल को मान देकर प्रोत्साहित किया आपने बहुत आभार.

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 6, 2014 at 5:30pm

बहुत खूब आदरणीय ..
मै sure नहीं हूँ लेकिन मतले में ईता दोष लग रहा है ..गुरुजन मार्गदर्शन करें 
सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on September 6, 2014 at 4:12pm
" बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें । "
Comment by harivallabh sharma on September 6, 2014 at 1:46pm

आदरणीय डॉ.गोपाल नारायन श्रीवास्तव साहब ग़ज़ल पर आपका स्नेह पाकर अभिभूत हुआ प्रोत्साहन हेतु विनम्र आभार आपका.

Comment by harivallabh sharma on September 6, 2014 at 1:43pm

आदरणीय laxman dhami जी आपने ग़ज़ल को मान देकर हौसला बढाया आपका हार्दिक आभार.

Comment by harivallabh sharma on September 6, 2014 at 1:41pm

आदरणीय Narendra Sinh Chauhan साहब बहुत आभार ..ग़ज़ल को मन देकर हौसला बढाया...बहुत शुक्रिया.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 6, 2014 at 12:18pm

हरिवल्लभ जी

बेहतरीन गजल i

चन्द साँसें अभी हैं...... बचीं रात की.
कोई सपनों में फिर भी. अटकता रहा.
उस झरोखे से दी थी..... किसी ने सदा.

सर्प रस्सी से तुलसी .......लटकता रहा.

 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 6, 2014 at 11:07am

चन्द साँसें अभी हैं. बचीं रात की.
कोई सपनों में फिर भी. अटकता रहा
उस झरोखे से दी थी किसी ने सदा.
सर्प रस्सी से तुलसी लटकता रहा


आदरणीय भाई हरिबल्लभ जी इन असआरों ने मन में गहरे असर किया हार्दिक बधाई स्वीकरें ।

Comment by harivallabh sharma on September 5, 2014 at 11:43pm

आदरणीय Dr.Vijay Shanker जी हार्दिक आभार आपने ग़ज़ल के अशआर पसंद कर हौसला अफजाई की...बहुत शुक्रिया.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
19 hours ago
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाई, ओबीओ की परम्परा का क्या ही सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत किया है आपने ! जय…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा है। सादर"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मेरे कहे को मान देने और अनुमोदन हेतु आभार। सादर"
20 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service