For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चोटिल अनुभूतियाँ

कुंठित संवेदनाएँ

अवगुंठित भाव

बिन्दु-बिन्दु विलयित

संलीन

अवचेतन की रहस्यमयी पर्तों में

 

पर

इस सांद्रता प्रजनित गहनतम तिमिर में भी

है प्रकाश बिंदु-

अंतस के दूरस्थ छोर पर

शून्य से पूर्व

प्रज्ज्वलित है अग्नि

संतप्त स्थानक 

 

चैतन्यता प्रयासरत कि

अद्रवित रहें अभिव्यक्तियाँ

 

फिर भी

अक्षरियों की हलचल से प्रस्फुटित

क्लिष्ट, जटिल शब्दाकृतियों का चेहरा

पिघला है-

व्युत्पन्न अदृश्य धारा के पदचिन्ह

शेष हैं अभी

 

सतर में अर्थ की तलाश है

 

- बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

Views: 1270

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on December 4, 2013 at 6:34pm

आदरणीय अरुण भाई आपका हार्दिक आभार! आपके शब्दों से बहुत प्रोत्साहन मिला!

Comment by बृजेश नीरज on December 4, 2013 at 6:33pm

आदरणीय शिज्जु जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by Arun Sri on December 4, 2013 at 11:29am


चोट खाना  , भूलने का प्रयास कर भी न भूल पाना , याद आने पर सँभालने का असफल प्रयास और अंततः शाब्दिक हो जाना ! यही तो है कवि हो जाने का सम्पूर्ण चक्र ! इन्ही अभिशापों को जीता हुआ मानव , कवि हो जाने का वरदान प्राप्त करता है ! 
आपकी हर कविता धीरे धीरे अपने सम्मोहन में जकड़ लेती है पाठक को लेकिन ये कविता तो चमत्कृत कर रही है ! अति गहन , अति मनभावन ! बहुत कम पढ़ने को मिलती हैं ऐसी कविताएँ ! जय हो !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 3, 2013 at 11:57pm

बहुत अच्छी रचना हैं आदरणीय बृजेशजी बधाई स्वीकार करें
सादर,

Comment by बृजेश नीरज on December 3, 2013 at 9:29pm

आदरणीया महिमा जी आपका हार्दिक आभार! ये हाल-फिलहाल में आप विद्व जनों की प्राप्त संगत का असर है कि कुछ ऐसा प्रयास कर सका जो आप लोगों को रुचा!

Comment by बृजेश नीरज on December 3, 2013 at 9:27pm

आदरणीया कल्पना दीदी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on December 3, 2013 at 9:27pm

आदरणीय गोपाल जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by MAHIMA SHREE on December 3, 2013 at 8:33pm

आदरणीय ब्रिजेश जी .. इस बार तो आपकी रचना चमकृत कर गयी .. आपकी सहज सरल शैली एक नयी राह नयी ऊँचाई की और गमन कर रही है .. बेहद सुंदर शब्द संयोजन  ,  उत्कृष्ट भाव नयी शैली  आपके साहित्यिक सृजन  के नए आयाम गढ़ रहे हैं  बहुत -२ हार्दिक बधाई

Comment by कल्पना रामानी on December 3, 2013 at 7:25pm

बृजेश जी,सुंदर भावपूर्ण कविता के लिए बधाई आपको

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 4:10pm

कल्पनातीत  i

अजगुत ------ अजगुत----=-=- अजगुत-------

मै स्तब्ध i निशब्द i

क्या बात है ब्रिजेश भाई i इतनी अनंत गहराई i

डा ० प्राची जी की  रचनाये याद  आती है i 

 मै  इससे  अधिक कुछ नहीं कहूँगा i

आप  पर माँ की ऐसी ही कृपा  बनी रहे i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service