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१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ - हजज मुसम्मन सालिम

जहाँ से अब ज़रा चलने कि तैयारी करो बिस्मिल
वहम में जी लिए कितना कि बेदारी करो बिस्मिल

जमाने ने किसे रहने दिया है चैन से अब तक
पुरानी बात छोड़ो खुद को चिंगारी करो बिस्मिल

बुरा हो वक़्त कितना भी न घबराना कभी इस से
गया अब वक़्त गर्दिश का न दिल भारी करो बिस्मिल

ग़रीबों का दुखाना मत कभी भी दिल मेरे दोस्त
दुआ किसकी मिलेगी फिर जो ज़रदारी करो बिस्मिल

सवर जाये अगर इस से बुरा क्या है ज़रा सोंचो
कभी इस मुल्क की तुम भी तो सरदारी करो बिस्मिल

    ***(( अय्यूब खान "बिस्मिल"))***

मौलिक एवम अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by शकील समर on November 17, 2013 at 10:06am

इस सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वकारें।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2013 at 7:38am

आदरणीय , बहुत सुन्दर गज़ल कही है !!! बधाई !!!

ग़रीबों का दुखाना मत कभी भी दिल मेरे दोस्त ----------मिसरा  बेबह्र हो रहा है , कृपया देख लें !!!

और --

सवर जाये अगर इस से बुरा क्या है ज़रा सोंचो--          किसके सवर  जाने  से  इससे बुरा होगा , बात साफ नही हो रही है बात शे र मे अधूरी लग रही है !!!

Comment by वीनस केसरी on November 17, 2013 at 3:08am

बहुत खूब भाई जी तमाम अशआर शानदार हुए हैं

गरीबों का दुखाना मत ... इस शेर पर नज़रे सानी फरमा लें ...

Comment by ram shiromani pathak on November 17, 2013 at 12:20am

आदरणीय  बिस्मिल भाई जी बहुत सुन्दर प्रस्तुति ///  बधाई  आपको 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 16, 2013 at 11:31pm

बहुत बढ़िया बिस्मिल भाई


//बुरा हो वक़्त कितना भी न घबराना कभी इस से
गया अब वक़्त गर्दिश का न दिल भारी करो बिस्मिल//


ये शेर खास पसंद आया दाद कुबूल करेंl

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