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देख तिरंगा लहराता

मन उठा, भ्रमर सा जागा है

 

पुलकित सूरज की किरनें

रंग तीन यह जो चमकें

इस मंद हवा की लहरों पर

मन झूम-झूमकर गाता है

 

सोंधी खुशबू माटी की

अलकें खिलतीं फूलों की

खेतों में लहराती फसलें

अब उमग-उमग मन जाता है

 

जीवन मेरा धन्य हुआ

भारत में जो जन्म हुआ

ये प्राण निछावर हैं इस पर

यह धरती अपनी माता है

.

बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

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Comment

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Comment by बृजेश नीरज on September 6, 2013 at 7:11pm

आदरणीय रविकर जी बहुत बहुत आभार!

Comment by बृजेश नीरज on September 6, 2013 at 7:10pm

आदरणीय गिरिराज जी बहुत आभार!

Comment by बृजेश नीरज on September 6, 2013 at 7:09pm

आदरणीय आशीष जी आपका आभार!

Comment by बृजेश नीरज on September 6, 2013 at 7:09pm

आदरणीय श्याम नारायण जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by vijay nikore on September 6, 2013 at 6:28pm

//सोंधी खुशबू माटी की

अलकें खिलतीं फूलों की

खेतों में लहराती फसलें

अब उमग-उमग मन जाता है//

अति सुन्दर प्रस्तुति। बधाई।

Comment by Meena Pathak on September 6, 2013 at 5:33pm

बहुत बहुत सुन्दर रचना, बधाई आप को

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 6, 2013 at 2:15pm

आदरणीय बृजेश भाई जी अप्रितम नवगीत रचा है आपने, आपकी रचनाओं का प्रवाह देखते ही बनता है इतनी सुन्दरता से अपनी बात कह जाते हैं बहुत बहुत बधाई आदरणीय भाई जी .

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 6, 2013 at 1:30pm

अति सुन्दर नवगीत ब्रजेश जी हार्दिक बधाई 

Comment by रविकर on September 6, 2013 at 12:01pm

देशभक्ति से साराबोर
सुन्दर प्रस्तुति
आदरणीय बृजेश जी -
शुभकामनायें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 6, 2013 at 11:41am
देश प्रेम से ओत प्रोत बहुत सुन्दर रचना , बृजेश भाई बहुत बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

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