For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! सत्ता का सार !!!

सत्ता - सुशासन - सरकार
पेट्रोल - डीजल- गैस की मार
दर्द क्यों हम इसका झेलें
जिसके तन में हों पहिये चार
नेताओं की चलती है कार
काला - धन और भ्रस्टाचार
टूट - फूट और मरम्मत का कार्य
बस थोड़ा सा दंगा
और नर -संहार
उनकी कार में खूनी पेट्रोल
व्यभिचारी डीजल का शोर
बलात्कारी से हूटर चीखते
मंहगाई का पूरा काफिला ही संग चलता
ए.सी. ट्रेन - प्लेन का सुख
लेतें हैं चमचा- चापलूस- गद्दार
इनके पूत पालने में ही
फाड़ें चादर
होकर युवा करते यूनिवर्सिटी बेजार
शहर - गाँव पूरा बाजार
थू - थू करता सभ्य परिवार
पुलिस - प्रशासन. कानून सब
हो जाते हैं पंगु और लाचार
और तब पूरा समाज
हो जाता बीमार
बस यही है सत्ता का सार !!!

के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 758

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 15, 2013 at 6:37pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपके स्नेह एवं प्रसंशा हेतु आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 15, 2013 at 6:35pm

आदरणीय राम शिरोमणि पाठक जी, आपके स्नेह एवं प्रसंशा हेतु  हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 15, 2013 at 6:33pm

आदरणीय प्रदीप कुमार सिंह जी, आपके स्नेह एवं प्रसंशा हेतु हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 15, 2013 at 6:31pm

आदरणीय संदीप कुमार पटेल जी, आपके स्नेह, सुझाव एवं प्रसंशा हेतु हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 15, 2013 at 6:28pm

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी, आपके स्नेह व आशीष रूपी प्रसंशा हेतु हार्दिक आभार।  सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 15, 2013 at 6:13pm

आज के शासन तंत्र पर अच्छा प्रहार किया है मन की कटुता को अच्छे से शब्दों में उतारा है बहुत- बहुत बधाई। 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 15, 2013 at 4:38pm

बहुत सही चित्रण 

बधाईस्नेही प्रसाद जी 

सादर 

Comment by ram shiromani pathak on April 15, 2013 at 3:11pm

 बहुत सुन्दर आदरणीय भाई !अपने तो सब पोल ही खोल दी !सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 15, 2013 at 2:00pm

आदरणीय केवल जी सादर
आपकी यह रचना बहुत ही प्यारी लगी
या यूँ कहूँ मज़ा आ गया भाव संप्रेषण जोरदार हैं
कहीं कहीं
जैसे
लेतें हैं "चमचा" की जगह चमचे
इस तरह के सुधार आप कर लिया करें
बाकी बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें इस हक़ीकत बयानी हेतु
सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 15, 2013 at 10:55am

सत्ता का सार  समझे, आप केवल प्रसाद,

इसका स्वाद चख  रहे,व्यभिचारी  आबाद |

दोषी इसको कर रहे,  पूर्ण  रूप  बर्बाद |

भ्रष्टाचारी लूट कर,  करे जेब आबाद 

नित बढती महंगाई, जनता है बर्बाद | - यही है साता का सार -बधाई करे स्वीकार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
15 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service