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लघु कथा : विरोध / गणेश जी "बागी"

लघु कथा : विरोध
यह तकरीबन रोज़ का ही किस्सा था कि कालोनी के बच्चे भोली भाली तूलिका का खिलौना छीन लेते और वह रोते-रोते घर आती और हर बार उसकी मम्मी समझा बुझाकर उसे शांत करा देती | आज शाम उसके मम्मी पापा बरामदे में बैठे चाय पी रहे थे, तभी तूलिका भागी भागी घर आई और उसके पीछे रोते हुए राहुल को लेकर उसकी मम्मी भी आ पहुंची |
"देखिए बहन जी, आपकी बेटी ने मेरे राहुल को कितना मारा" राहुल के गाल पर पड़े चांटे का निशान दिखाते हुये राहुल की मम्मी बोलीं |
"तूलिका इधर आओ, तुमने राहुल को क्यों मारा"
"मम्मी पहले राहुल ने ही मेरी गुड़िया छीनी थी, तभी मैंने उसे मारा"
"बहन जी, तूलिका अभी बच्ची है, मैं समझा दूंगी, आइन्दा वो ऐसा नहीं करेगी"
राहुल की मम्मी भुनभुनाते हुए चली गई |
लेकिन न जाने क्यों तूलिका के डैडी मंद मंद मुस्कुरा रहे थे, अत: तूलिका की मम्मी पूछ ही बैठी,
"क्या बात है जी, आप बिटिया की इस हरकत से बहुत खुश नज़र आ रहे हैं ? "सच कहा जी, मैं आज वाक़ई बहुत खुश हूँ, आज हमारी बिटिया विरोध करना सीख गई है |"

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Comment

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 21, 2012 at 2:11pm

आदरणीय उमाशंकर मिश्र जी, लघुकथा को आत्मसात करने और उत्साहवर्धन करने हेतु बहुत बहुत आभार |

Comment by Vinita Shukla on September 21, 2012 at 1:36pm

सांसारिकता का सबक सीखती छोटी सी बच्ची की सुंदर कथा . बधाई.

Comment by UMASHANKER MISHRA on September 21, 2012 at 12:43pm

बहुत ही बढ़िया लगी आदरणीय बागी जी इतनी छोटी रचना के माध्यम से आपने बड़ी बात कह दी है 

इस कहानी में दर्शाया गया विरोध ..पिता के चहरे की  मुस्कान ..बेटी का विरोध करना सीख लेना 

सुखद दृश्य है 

हार्दिक बधाई आदरणीय 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 21, 2012 at 9:30am

वाह को बुरी आदत क्यों समझते है वीनस जी :)

लघु कथा को पसंद करने हेतु बहुत बहुत आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 21, 2012 at 9:27am

आभार सतीश अग्निहोत्री जी |

Comment by वीनस केसरी on September 21, 2012 at 12:56am


वाह वा
(बुरी आदत पड़ गई है किसी भी विधा पर कुछ भी पसंद आ जाये तो वाह वा टाईप हो जाता है :)

गणेश जी,
कथा के नएपन ने खूब आनंद दिया
अंत तक रोचकता बनी रही इसके लिए विशेष बधाई
मैं इसे लघुकथा के सटीक उदाहरण के तौर पर इस्तेमाल कर सकता हूँ

Comment by Satish Agnihotri on September 20, 2012 at 11:13pm

दिल को छू लिया ..बधाई आपको..Er. Ganesh Jee "Bagi" ji


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 20, 2012 at 11:09pm

लघु कथा को आशीर्वाद देने हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 20, 2012 at 11:08pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ भईया, जाने क्यों मुझे भी आपके विश्वास पर विश्वास है :-)


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 20, 2012 at 8:40pm

 बच्चा रोज दूसरे बच्चों से पिट कर आये ये सच में अच्छा नहीं लगता एक न एक दिन तो उसे विरोध करना ही पड़ेगा तो पापा को सुकून क्यूँ नहीं मिलेगा बहुत अच्छा यथार्त चित्रण कर  रही है लघु कथा बहुत पसंद आई बहुत बधाई आपको गणेश जी 

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