For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नीले नभ पर .,

उड़ चले पंछी ,
इक लम्बी उड़ान,
संग साथी लिए ,
निकल पड़े सब,
तलाश में अपनी ,
थी मंजिल अनजान .
अनदेखी राहों में 
जब हुआ सामना, 
था भयंकर तूफ़ान 
घिर गए चहुँ ओर से , 
और फ़स गए वो सब ,
इक ऐसे चक्रव्यूह में ,
अभिमन्यु की तरह ,
निकलना था मुश्किल ,
पर बुलंद हौंसलों ने ,
कर दिया नवसंचार ,
उन थके हारे पंखो में ,
भर दी इक नयी ताकत ,
उस कठिन घड़ी में ,
मिलकर उन सब ने ,
अपने पंखों के दम पे ,
टकराने का तूफान से ,
था साहस दिखलाया,
अपने फडफडाते परों से,
था तूफ़ान को हराया ,
हिम्मत और जोश लिए 
बढ़ चले वह  फिर से,
 इक अनजान डगर पे |

Views: 607

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Yogi Saraswat on July 5, 2012 at 11:28am

साहस, हिम्मत ऐसी चीज़ें हैं , ऐसे गुण हैं जो हारी हुई बाज़ी को भी जिताने में सहायक होते हैं ! बहुत सुन्दर शब्द आदरणीय रेखा जोशी जी ! ये सच में होता है ! मैं सिर्फ आपकी रचना के सन्दर्भ में ही ये बात नहीं कह रहा हूँ ! आप डिस्कवरी चेनल पर रात को 9 बजे आने वाले कार्यक्रम " I  should  not  be  Alived  " देखिये ! सच में उनकी हिम्मत और सहनशीलता हमें एक रास्ता दिखाती है !

Comment by Rekha Joshi on July 5, 2012 at 11:09am

धन्यवाद राजेश जी ,ऐसे ही उत्साह बढ़ाते रहिये ,आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 5, 2012 at 10:33am

सफलता  वहीँ   मिलती है जहां होंसलों की उड़ान हो यही सन्देश दे रही है आपकी ये प्यारी रचना बहुत खूब रेखा जी 

Comment by Rekha Joshi on July 5, 2012 at 10:23am

उमाशंकर जी ,आपके कमेंट्स मेरे लिए महत्वपूर्ण है ,उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद 

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 4, 2012 at 11:24pm

जोश उल्लास पैदा कर देने वाली रचना सुन्दर प्रस्तुति

बधाई आदरणीय  रेखा जी

Comment by Rekha Joshi on July 4, 2012 at 8:10pm

आदरणीय लक्ष्मण जी,सादर नमस्ते ,हमारा आत्मबल ,साहस ही वह शक्ति है जो हर संघर्ष से जूझने की हिम्मत देता है ,आपको रचना पसंद आई ,आभार 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 4, 2012 at 7:51pm
इक ऐसे चक्रव्यूह में, अभिमन्यु की तरह,निकलना था मुश्किल,पर बुलंद हौंसलों ने,
कर दिया नवसंचार, उन थके हारे पंखो में ,भर दी इक नयी ताकत
बुलंद होंसलों का पैगाम देती अच्छी रचना के लिए बधाई रेखाजी |
Comment by Rekha Joshi on July 4, 2012 at 6:36pm

गौरव जी ,ऐसे ही स्नेह बनाते रखें ,आपका धन्यवाद 

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on July 4, 2012 at 6:15pm
आदरणीया रेखा जी, जोश और उत्साह का संचार करती रचना। बहुत सुंदर। बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"तंज यूं आपने धूप पर कस दिए ये धधकती हवा के नए काफिए  ये कभी पुरसुकूं बैठकर सोचिए क्या किया इस…"
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार। त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।। बरस रहे अंगार, धरा…"
13 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' joined Admin's group
Thumbnail

धार्मिक साहित्य

इस ग्रुप मे धार्मिक साहित्य और धर्म से सम्बंधित बाते लिखी जा सकती है,See More
13 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service