आरती और वैभव के बीच में कल रात से ही झगड़ा चल रहा था ,मुद्दा वही उपर की आमदनी का ,जिसे आरती अपने घर में कदापि भी खर्च करना नही चाहती थी | वैभव ने अपनी पत्नी आरती को पैसे की अहमियत के बारे में बहुत समझाया और बताया कि उसके दफ्तर में सब मिल बाँट कर खातें है लेकिन आरती के लिए रिश्वत तो पाप कि कमाई थी , वैभव के लाख समझाने पर भी जब आरती नही मानी तो गुस्से में उसने आरती से साफ़ साफ़ कह दिया था कि अगर आरती ने इस मुद्दे पर और बहस की तो वह उससे सदा के लिए सम्बन्ध विच्छेद कर लेगा ,बात बढ़ती देख आरती खामोश हो गई और मेज़ पर रखा हजार का नोट उठा कर उसे एक सफेद लिफाफे में डाल कर अपने घर में बने छोटे से मंदिर में रख दिया और भारी मन से रसोई में व्यस्त हो गई |तभी उसे बाहर आंगन में माली कि आवाज़ सुनाई दी ,जो वैभव से कुछ दिनों की छुट्टी मांग रहा था और उसे अपने बीमार बेटे के इलाज के लिए कुछ रुपयों की जरूरत थी ,आरती ने झट से मंदिर से सफेद लिफाफा उठाया और माली के हाथ में थमा दिया |
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सवी जी ,अगर नारी अधिक धन की मांग न करें तो स्थिति काफी हद तक बदल सकती है ,आपका बहुत बहुत धन्यवाद
गौरव जी ,उत्साहवर्धन के लिए आपका धन्यवाद ,आभार
rekha ji, aakhir rishwat ko rokne ke liye kisi ko to pahal karni hi hogi, aur yah pahal aapki aarti ne ki | bhut khub
आदरणीया रेखा जी, अच्छी कहानी के लिए बधाई स्वीकारें|
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