For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

टूट गया है क्या वह सांचा बाबाजी

कितना झूठा, कितना साचा बाबाजी
हमने सब का  चेहरा बांचा बाबाजी

अग्निपथ टू  देख के दर्शक चौंक उठे
विजय से ज़्यादा हॉट है कांचा बाबाजी

जुहू तट पर अपनी अपनी आयटम संग
खोज  रहे  सब  कोना- खांचा  बाबाजी

सीधे सच्चे बन्दे  जिसमें  ढलते थे
टूट गया है क्या वह सांचा बाबाजी

महाराष्ट्र में रह कर मैं भी सीख गया
तुमचा, आमचा, यांचा, त्यांचा बाबाजी

झंडों में बदलाव का कोई लाभ नहीं
बदलना होगा  पूरा ढांचा बाबाजी

चोर होगया नौ दो ग्यारह और पुलिस
करती रह गई  तीया-पांचा बाबाजी

 अवगुण औरों में तो ढूंढे "अलबेला"
लेकिन ख़ुद को कभी न जांचा बाबाजी

जय हिन्द !

Views: 812

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on June 7, 2012 at 4:35pm

सम्मान्य गणेश जी बागी साहेब, 
आपने इस रचना को  पास कर दिया . यह बहुत बड़ी बात है मेरे लिए.  हालाँकि मैं अपनी  सीमा  भली-भांति  जानता हूँ . अभी मैं केवल भावप्रधान  रचना रचने का ही प्रयास करता हूँ . एक बयान की तरह  शब्दों को तरतीब से सजा कर  प्रस्तुत करता हूँ.........धीरे धीरे जब ग़ज़ल कहने  का सलीका आ जाएगा  तब  शाइरी भी आ जायेगी और  शब्द-शिल्प में सौन्दर्य भी  आ जाएगा .  लेकिन तब तक यों ही  प्रोत्साहन देते रहिये इस बालक को ताकि  जी लगा रहे और ऊर्जा बनी रहे

आपकी सराहना  ह्रदय में  सहेज ली है ..धन्यवाद

Comment by Albela Khatri on June 7, 2012 at 4:18pm

आपका  बहुत बहुत  धन्यवाद  आदरणीय  भावेश राजपाल जी....
सराहना  के ये शब्द सर आँखों पर

Comment by Bhawesh Rajpal on June 7, 2012 at 4:05pm
वाह -वाह ! क्या खूब लिखा है , अलबेला जी , मेरी ओर से हार्दिक बधाई ! 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 7, 2012 at 3:59pm

अलबेला जी, अपेक्षाकृत बहुत ही कठिन काफिया को आपने पूरी ग़ज़ल में निभाया है, मकता खास तौर पर तारीफ़ के योग्य है, बहुत बहुत बधाई आदरणीय |

Comment by Albela Khatri on June 7, 2012 at 3:49pm


आपका एक एक शब्द सर आँखों पर,,,,,,
आभार  रेखा जोशी जी

Comment by Albela Khatri on June 7, 2012 at 3:47pm

शुक्रिया  सोनम सैनी जी...........
आभार  इस सराहना  के लिए

Comment by Albela Khatri on June 7, 2012 at 3:44pm

सराहना के इस कोमलकांत  स्पर्श  के लिए  आपका विनम्र धन्यवाद  अरुण कान्त शुक्ला जी

आभारी हूँ

Comment by Sonam Saini on June 7, 2012 at 2:38pm

bahut khub sir ji. sahi likha hai.

Comment by Rekha Joshi on June 7, 2012 at 2:25pm

Albela ji 

सीधे सच्चे बन्दे  जिसमें  ढलते थे 
टूट गया है क्या वह सांचा बाबाजी ,stiik likha hae ,badhai 

Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 7, 2012 at 1:44pm

झंडों में बदलाव का कोई लाभ नहीं
बदलना होगा  पूरा ढांचा बाबा जी .. आपके लिखने का अंदाज बहुत प्यारा और सरल है , जो दिल के साथ दिमाग में भी घुसता है | बधाई ..|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service