For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यहाँ सभी की आँख सजल है बाबाजी


जिधर देखिये, जल ही जल है बाबाजी
यहाँ सभी  की आँख सजल है बाबाजी



लोग जिसे गंगाजल कह कर  पीते हैं
वह   गंगा  का  अश्रुजल  है  बाबाजी



एक लीटर की बोतल पन्द्रह रुपयों में
जल  है  इसमें  या  डीज़ल है बाबाजी



भड़क गया मैं देख के उसके दस बच्चे
वो बोला, मालिक का फज़ल है बाबाजी



गुजराती कन्याओं के ज़्यादातर नाम
सेजल, केजल और किंजल है बाबाजी 



तुम कसाब  को लेकर ही गुस्साये हो
यहाँ अभी ज़िन्दा अफजल है बाबाजी



कई विधाएं  हैं  'अलबेला' कविता  की
किन्तु जग विख्यात ग़ज़ल है बाबाजी



JAI HIND !


Views: 750

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on June 13, 2012 at 1:15pm

आदरणीय अरुण कान्त शुक्ल जी,
बहुत बहुत  धन्यवाद  .   आपकी  सराहना सर आँखों पर.......इस स्नेह  के लिए  आभारी हूँ
सादर 

Comment by Albela Khatri on June 13, 2012 at 1:13pm

आदरणीय अरुण श्रीवास्तव जी,
बहुत बहुत  धन्यवाद  और हार्दिक आभार  आपकी इस बेबाक सराहना  के लिए
सादर 

Comment by Arun Sri on June 12, 2012 at 11:51am

गुजराती कन्याओं के ज़्यादातर नाम
सेजल, केजल और किंजल है बाबाजी ............. सब टी वी का असर है बाबा जी !

एक लीटर की बोतल पन्द्रह रुपयों में
जल  है  इसमें  या  डीज़ल है बाबाजी . .ज़माने गए १५ रूपए में डीज़ल के ! अब तो खून से भी महंगा है

या बाबा जी तो मिसाइल बनते जा रहें हैं !
 

Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 11, 2012 at 9:01pm

एक लीटर की बोतल पन्द्रह रुपयों में
जल  है  इसमें  या  डीज़ल है बाबाजी.. मैंने कहा न मैं आपका पंखा हूँ . बधाई

Comment by Albela Khatri on June 9, 2012 at 3:41pm

धन्यवाद राजेश कुमारी जी,
बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 9, 2012 at 1:21pm

bahut sundar kataksh karti ghazal

एक लीटर की बोतल पन्द्रह रुपयों में
जल  है  इसमें  या  डीज़ल है बाबाजी......ghajab ka sher..vaah

Comment by Albela Khatri on June 9, 2012 at 9:19am

धन्यवाद नीलांश जी
आपकी सराहना  सर आँखों पर

Comment by Nilansh on June 9, 2012 at 9:13am

bahut hi sunder ghazal hai albela ji

saarthak lekhan ke liye bahut badhaai

Comment by Albela Khatri on June 8, 2012 at 11:11pm

आपका बहुत बहुत  धन्यवाद  महिमा श्री जी........
सराहना  के प्रति आभार

Comment by MAHIMA SHREE on June 8, 2012 at 11:03pm

भड़क गया मैं देख के उसके दस बच्चे
वो बोला, मालिक का फज़ल है बाबाजी



गुजराती कन्याओं के ज़्यादातर नाम
सेजल, केजल और किंजल है बाबाजी 

तुम कसाब  को लेकर ही गुस्साये हो
यहाँ अभी ज़िन्दा अफजल है बाबाजी

वाह वाह आदरणीय अलबेला जी क्या कहने .. व्यंग भी .. चिंता भी  और हास्य भी .. कमाल .. बहुत -२ बधाई आपको



कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
19 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
20 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
22 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
23 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service