For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संकुचित पर्यावरण हो रहा बाबाजी

यह जो शहरीकरण हो रहा बाबाजी

हरियाली का  हरण हो रहा बाबाजी

चीलें, कौए, चिड़ियाँ, तोते, तीतर संग
वनजीवन का मरण हो रहा बाबाजी

भौतिक सुविधाओं को तो विस्तार मिला
संकुचित पर्यावरण हो रहा बाबाजी

पेड़ काट कर, मानव मानो अपनी ही
हत्या का उपकरण हो रहा बाबाजी

इसका दुष्परिणाम देखिये घर-घर में
रोगों का अवतरण हो रहा बाबाजी

ख़बरदार ! कुदरत का क्रोध रुला देगा
उसके विरुद्ध आचरण हो रहा बाबाजी

तुम मेरी आँखों से देखो "अलबेला"
सकल सृष्टि का क्षरण हो रहा बाबाजी


JAI HIND !

Views: 753

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on June 24, 2012 at 6:49pm

धन्यवाद योगी सारस्वत जी....
आपका स्नेह सर आँखों पर .......

Comment by Albela Khatri on June 24, 2012 at 6:47pm

जय हो श्री प्रदीप बाबा की .......

Comment by Albela Khatri on June 24, 2012 at 6:46pm

धन्यवाद सौरभ जी......
साभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 23, 2012 at 11:34pm

सकल सृष्टि का क्षरण हो रहा बाबाजी

इस मिसरे ने ारी बातों को रवानी दी है..  बहुत खूब अलबेला भाईजी.

Comment by Albela Khatri on June 8, 2012 at 4:34pm

आपका धन्यवाद इस  सराहना और सहमति के लिए बन्धुवर कुमार गौरव  अजितेंदू जी !

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 8, 2012 at 4:20pm
सचमुच अलबेला जी, पर्यावरण संरक्षण पर अब ध्यान दिये जाने की जरुरत है।
Comment by Albela Khatri on June 7, 2012 at 10:15am

भाई अरुण कुमार निगम जी,
कमाल कर दिया आपने........जय हो

सराहना के लिए शुक्रगुजार हूँ......


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on June 7, 2012 at 10:10am

अलबेला जी यूँ ही प्रेरणा दिया करें

जनता में जागरण हो रहा बाबाजी.

भाषा की सरिता देखो नित सूख रही

लुप्त कहाँ व्याकरण हो रहा बाबाजी.

जहाँ दिलों में प्रेम की आवाजाही थी

रुपयों का अंतरण हो रहा बाबाजी.

राजनीति और गणित विषय थे अलग-अलग

द्व्य का एकीकरण हो रहा बाबाजी

जोड़ घटाना गुणा भाग दिन रात चले

रोज नया समीकरण हो रहा बाबाजी.

सुविधाओं की कील ठोंकना बंद करें

घायल पर्यावरण हो रहा बाबाजी.

Comment by Albela Khatri on June 7, 2012 at 9:11am

श्रद्धेय आशीष यादव  जी,
आपकी प्रशंसा  पा कर मन गदगद हुआ
बहुत बहुत शुक्रिया........

Comment by Albela Khatri on June 7, 2012 at 9:08am

श्रद्धेय नीलांश जी,
बहुत बहुत शुक्रिया........  आपकी सराहना ने मनोबल बढाया है
धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service