For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कौरव पांडव मिल चीर खीचते ,
सदन खड़ी बेचारी द्रोपदी बनकर,
हाथ जोड़े लुट रही थी वो अबला,
कृष्ण ना दिखे किसी के अन्दर ,

चुनाव का चौपड़ है बिछने वाला ,
शकुनी चलेगा चाल,पासे फेककर,
खेलेंगे खेल दुर्योधन दुश्शाशन ,
होगा खड़ा शिखंडी भेष बदलकर,

हे!जनता जनार्दन अब तो जागो,
रक्षा करो कृष्ण तुम बनकर,
दिखाओ,तुम्हे भी आती है बचानी आबरू ,
"बागी" नहीं जीना शकुनी का पासा बनकर,

Views: 940

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anand Vats on July 22, 2010 at 5:15pm
आहा | मज़ा आगया दोस्तो को भी पढ़ाया मैने , सब लोग अपपको बहुत बहुत बधाई दे रहे है इस उत्कृष्ट लेखन के लिए |
Comment by Chhavi Chaurasia on July 22, 2010 at 2:37pm
गणेश जी, आज के हालात पर बहुत अच्छी रचना लिखी है आपने .काश....अब भी जनता को एहसास हो जाता कि कितने निर्लज और बेशर्म लोग उनके रहनुमा बने हुए हैं.
Comment by Neelam Upadhyaya on July 22, 2010 at 10:23am
"बागी" नहीं जीना शकुनी का पासा बनकर

आजकल के पिरदृश्य में एकदम सही कहनाम बा । जेकरा में भी थोड़ बहुत "कृष्ण" बाँचल रह गइल बा ऊ शकुनी के पासा बन के रह गइल बा । बिहार विधान सभा में काल्ह जवन भी घटना (दुर्घटना) घटल हऽ ओकर समाचार देख के मन एतना शर्मसार भइल कि अपना बिहारी होखे पर पहिला बार बहुत दुख भइल ।
Comment by guddo dadi on July 22, 2010 at 9:36am
देश के नेताओं बहुत अच्छे चित्र है
मनोज जी पहली चित्र देख कर तो मुगले-ऐ -आजम के गीत की पंक्ति
गगरिया तोड़ डाली मधुबाला जी ने साड़ी पहनी सुंदर अति सुंदर
Comment by guddo dadi on July 21, 2010 at 11:51pm
देश में अब शकुनी ही शकुनी नेता राज है
कृष्ण जी भी जन्म लेने से डरते हैं

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 21, 2010 at 11:20pm
आदरणीय रजनी दीदी ,बब्बन भैया ,सुनील पाण्डेय जी, अभिषेक भाई , राणा भाई और सूर्यजीत भाई आप लोगो का बहुत बहुत धन्यवाद इस उत्साहवर्धन के लिये ,
Comment by rajni chhabra on July 21, 2010 at 11:13pm
anuthee soch aur bhrisht rajnaati pr gahre waar ke liye sadhuvad.
Comment by suryajeet kumar singh on July 21, 2010 at 11:03pm
गणेश भएया रौवा ता बहुत बढ़िया लिखलेबानी लेकिन द्रोपति के पाचावे खातिर श्री क्रिसना जी आएल रहनी लेकिन ए जनता यानी की हॅम्नी के बीच मे कहु क्रिस्न बने के तएयर नएखे . सब कहु पढ़ लिख के कैओनो आराम के नाओकरी खोजता . ता रौवे सोची की अपना देश के का होई भगवान मलिक बड़े ई महान् भारत देश के....

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on July 21, 2010 at 10:48pm
कोई भी टिप्पणी दूं इससे पहले

हिंदी भाषा के जानकर लोगों से करबद्ध निवेदन है कि विधान सभा को अब अखाड़ों का पर्यायवाची घोषित कर दीजिये और सदन के सत्र को दंगल का. जहां पर दूर दूर से कई सारे पहलवान आकार अपने दम खम कि अजमाइश करते है.

बागी भैया आपकी ये पंक्तियाँ इतना ज़रूर बयाँ कर रही है कि पानी अब सर से ऊपर बह रहा है. संभल जाओ नहीं तो बह जाओगे.

अंत में
सदन की शोभा बढ़ा चुके अटल जी की एक समसामयिक कविता

कौरव कौन
कौन पांडव,
टेढ़ा सवाल है|
दोनों ओर शकुनि
का फैला
कूटजाल है|
धर्मराज ने छोड़ी नहीं
जुए की लत है|
हर पंचायत में
पांचाली
अपमानित है|
बिना कृष्ण के
आज
महाभारत होना है,
कोई राजा बने,
रंक को तो रोना है|
Comment by sunil pandey on July 21, 2010 at 9:27pm
kya bat hai sir .. bahut bandhiya.. great...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
20 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service