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मैं घबरा जाता हूँ यह सोच सोच कर ,
कैसे कोई गरीब अपना घर चलाता होगा,

सौ लाता है मजदूर पूरे दिन मर कर,
कैसे भर पेट दाल रोटी खा पाता होगा,

बीमार मर जायेगा दवा का दाम सुनकर,
हे! ईश्वर कैसे वो ईलाज कराता होगा,

मुर्दा डर जायेगा लकड़ी की दर सुनकर,
कैसे कोई मजलूम शव जलाता होगा ,

लगी है आग गंगा में महंगाई की "बागी",
कैसे कोई अधनंगा डुबकी लगाता होगा ,

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Comment

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Comment by ratnesh on January 31, 2011 at 8:38am
bagi  ji aap anumati pradan kere to kuch racnao ko publish kar sakoo

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 20, 2011 at 7:07pm
आदरणीया जुली जी , वंदना जी और अनुज रत्नेश जी , आप सब का धन्यवाद जो अपना विचार इस रचना पर दिये |
Comment by Ratnesh Raman Pathak on January 18, 2011 at 5:48pm

are wah ganesh bhaiya.....hum ta e kavita raur padhle hi na rahni.......

aapke is kavita ki jitni tarif ki jaye wo kum hai .......thankyou once again..

Comment by Julie on October 20, 2010 at 10:13pm
कैसे कोई अधनंगा डुबकी लगाता होगा...

वाह बागी जी बहुत ही तेज़ प्रहार किया आपने सरल शब्दों से आज की महंगाई पर... वाकई तारीफ़-ऐ-काबिल...!!

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 17, 2010 at 8:19pm
हौसलाफजाई के लिये बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय शैलेश्वर पाण्डेय जी और आदिल भाई |
Comment by Shaileshwar Pandey ''Shanti'' on October 17, 2010 at 6:54pm
Aaj ke mahangai par bahut hi acha kavita likha ahi aapne...padha kar rongate khare ho jate hai...aise samajik kavita likhane ke liye aap ko bahut-bahut dhanyavaad.
Comment by mohd adil on October 17, 2010 at 2:42pm
मैं घबरा जाता हूँ यह सोच सोच कर ,
कैसे कोई गरीब अपना घर चलाता होगा,

लगी है आग गंगा में महंगाई की "बागी",
कैसे कोई अधनंगा डुबकी लगाता होगा ,

bhoot khoob kha aapne

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 4, 2010 at 9:20am
बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय गुरु जी, नविन भईया , मित्र अमरेन्द्र जी और बहन कल्पना, आप सब का आशीर्वाद और स्नेह इस रचना को मिला, लिखना सफल हुआ,
Comment by Rash Bihari Ravi on July 21, 2010 at 7:15pm
aapka jabab nahi sir ji

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 19, 2010 at 10:10am
बहुत बहुत धन्यवाद भाई आशीष यादव जी , स्नेह बनाये रखे ,

कृपया ध्यान दे...

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