For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


2122 1212 22

खूब सूरत गुनाह कर बैठे ।
हुस्न पर हम निगाह कर बैठे ।।

आप गुजरे गली से जब उनके ।
सारी बस्ती तबाह कर बैठे ।।

कुछ असर हो गया जमाने का ।
ज़ुल्फ़ वो भी सियाह कर बैठे ।।

देख कर जो गए थे गुलशन को ।
आज फूलों की चाह कर बैठे ।।

जख्म दिल का अभी हरा है क्या ।
आप फिर क्यों कराह कर बैठे ।।

किस तरह से जलाएं मेरा घर ।
लोग मुझसे सलाह कर बैठे ।।

लोग नफरत की इस सियासत में ।
आपको बादशाह कर बैठे ।।

दुश्मनी जब चले निभाने हम ।
वो हमें खैरख्वाह कर बैठे ।।

उस जमीं का उदास मंजर था ।
हम जिसे ईदगाह कर बैठे ।।

वो तो सरकार की सियासत थी ।
आप क्यूँ आत्मदाह कर बैठे ।।

अब तस्सल्ली उन्हें मुबारक़ हो ।
मुल्क जो कत्लगाह कर बैठे ।।

उन शहीदों को है सलाम मेरा ।
मौत से जो निक़ाह कर बैठे ।।

सिर्फ पहुँचे वही खुदा तक हैं ।
इश्क़ जो बेपनाह कर बैठे ।।

डॉ - नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 699

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on March 8, 2019 at 4:51pm

आपने छोटी 'ह'(जिसे उर्दू में 'ह' ख़फ़ी कहते हैं) लिए हैं ,और 'सलाह' और 'निकाह' शब्द के अंत में बड़ी 'ह' लिया जाता है,इसलिए उर्दू में इसकी इजाज़त नहीं है ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 7, 2019 at 6:04pm

आ0 कबीर सर क्षमा कीजियेगा आपके नाम के साथ आदर सूचक शब्द टाइप करने में छूट गया है । 

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 7, 2019 at 6:02pm

आ0 कबीर सादर नमन के साथ हार्दिक आभार । कृपया सलाह और निक़ाह उर्दू के हिसाब से कौन सा तकनीकी कारण इस पर भी प्रकाश डालने का कष्ट करें । खुद की जानकारी के लिए आवश्यक समझता हूँ।

सादर 

Comment by Samar kabeer on March 7, 2019 at 2:13pm

जनाब डॉ. नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'आप गुजरे गली से जब उनके'

इस मिसरे में 'उनके' की जगह "उनकी" कर लें ।

'लोग मुझसे सलाह कर बैठे'

इस मिसरे का क़ाफ़िया उर्दू के हिसाब से ग़लत है,लेकिन देवनागरी में शायद चल जाएगा ।

'उन शहीदों को है सलाम मेरा ।
मौत से जो निक़ाह कर बैठे ।।'

इस शैर के ऊला में तनाफ़ुर देखें,और सानी में 'निकाह'क़ाफ़िया उर्दू के हिसाब से ग़लत है,ऊला यूँ कर सकते हैं:-

'है सलाम उन शहीदों को मेरा'

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 5, 2019 at 9:43pm

आ0 लक्ष्मण धामी साहब हार्दिक आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 5, 2019 at 4:12pm

आ. भाई नवीन जी, उम्दा गजल हुयी है । हार्दिक बधाई।

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 5, 2019 at 12:00am

आ0 हरिओम श्रीवास्तव साहब हार्दिक आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 4, 2019 at 11:59pm

आ0 आसिफ़ जैदी साहब तहेदिल से शुक्रिया ।

Comment by Asif zaidi on March 4, 2019 at 11:41pm

आदरणीय क्या कहने अचछे अशआर के बधाई स्वीकार करें सादर

Comment by Hariom Shrivastava on March 4, 2019 at 10:55pm

वाह,वाहह,बेहतरीन ग़ज़ल। खूबसूरत गुनाह..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
35 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
37 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service