For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"अखबार" पर तीन कुण्डलिया

कल घटना जो भी घटी, नभ थल जल में यार
उसे शब्द में बाँधकर, लाता है अखबार
लाता है अखबार, बहुत कुछ नया पुराना
अर्थ धर्म साहित्य, ज्ञान का बड़ा खजाना
पढ़के जिसे समाज, सजग रहता है हरपल
सबका है विश्वास, आज भी जैसे था कल।1।

जैसा कल था देश यह, वैसा ही कुछ आज
बदल रही तारीख पर, बदला नहीं समाज
बदला नहीं समाज, सुता को कहे अभागिन
लूटा गया हिज़ाब, कहीं जल गई सुहागिन
कचरे में नवजात, आह! जग निष्ठुर कैसा
समाचार सब आज, दिखे है कल ही जैसा।2।

पढ़के खबरें रोज ही, होता चित्त उदास
अब पढ़ना अखबार ही, लगता है बकवास
लगता है बकवास, ख़बर जब हमें रुलाती

कथनी करनी में फर्क, समझ ना जनता पाती
कहीं नोचते जिस्म, सन्त भी दानव बनके
होता बहुत विषाद, सुबह ही यह सब पढ़के।3।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 572

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 15, 2018 at 8:27am

सुंदर कुण्डलिया लिखने के लिए बहुत बहुत बधाई भाई सुरेन्द्र जी

Comment by नाथ सोनांचली on November 12, 2018 at 4:59pm

आद0 समर कबीर साहब बहुत बहुत आभार आपका,, आपके कथनानुसार परिवर्तन कर दिया है,, पुनश्च आभार

Comment by नाथ सोनांचली on November 12, 2018 at 4:58pm

आद0 आली जनाब समर कबीर साहब सादर प्रणाम। आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया का हमें रचना पोस्ट करने के तुरन्त बाद से बाट जोहता हूँ। 

पढ़के खबरें रोज ही-- इसमें भूल वस त्रुटि हो गयी है। अभी दुरुस्त करता हूँ।

Comment by नाथ सोनांचली on November 12, 2018 at 4:36pm

आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। कुण्डलिया की प्रशंसा से अभिभूत हूँ। हार्दिक आभार आपका।

Comment by Samar kabeer on November 12, 2018 at 2:57pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,अख़बार पर व्यंग करते अच्छे कुण्डलिया छन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

' पढ़के खबरें पढ़कर रोज ही'--?

' खबर सब हमें रुलाती'--इस पंक्ति में 'सब' शब्द लिया तो 'रुलाती' को "रुलातीं" करना होगा,इसलिये इसे यूँ कर लें:-

"ख़बर जब हमें रुलाती"

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 12, 2018 at 2:40pm

बेहतरीन यथार्थपूर्ण, कटाक्षपूर्ण उम्दा कुण्डलिया छंदों के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहिब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

जोगी सी अब न शेष हैं जोगी की फितरतेंउसमें रमी हैं आज भी कामी की फितरते।१।*कुर्सी जिसे भी सौंप दो…See More
16 hours ago
Vikas is now a member of Open Books Online
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service