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"घटना दुखद है, घुटना ही सुखद है!" - (छंदमुक्त, अतुकान्त कविता)

तुरपाई हो नहीं सकती, भरपाई हो नहीं सकती
कपड़े फट सकते हैं, चिथड़े उड़ सकते हैं
सुनवाई होती है, कार्यवाही सदैव हो नहीं सकती
घटना दुखद है, अफ़सोस, घुटना ही सुखद है!


मुुुलाक़ात, मीडियापा, राजनीति, बदज़ुबानी हो सकती है,
अपहरण, लिंचिंग, जुतयाई, जगहंसाई हो सकती है,
निवारण, निराकरण तो क्या एफआईआर ही हो नहीं सकती,
घटना दुखद है, अफ़सोस, घुटना ही सुखद है!


टूटना-फूटना, लुटना-लूटना, रोना-रुलाना, चीखना-चिल्लाना,
सब फ़िल्मी शूटिंग सी अदायगी हो सकती है, जनता एकत्रित हो सकती है,
सेल्फ़ी, वीडियोग्राफी, पुरस्कृत साहित्य-रचना हो सकती है,
नैतिकता, सामाजिकता, आध्यात्मिकता आ नहीं सकती, छा नहीं सकती
घटना दुखद है, अफ़सोस, घुटना ही सुखद है!


जांच-समीतियां गठित हो सकतींं हैं, न्याय-रक्षित नहीं कर सकतींं हैं,
दोषी जी सकते हैं, निर्दोष फंस सकते हैं, बयान-फैसले बिक सकते हैं,
घुटन हो सकती है, पीड़ायें, जलन-तपन हो सकती है, अश्रुधारा बह सकती है
घटना दुखद है, अफ़सोस,  घुटना ही सुखद है!


बदनामी हो सकती है, नाकामी हो सकती है, तानाशाही हो सकती है,
जम्हूरियत जी नहीं सकती, इंसानियत हो नहीं सकती
हैवानियत छा सकती है, भौतिकता छा सकती है, धरती कराह सकती है,
घटना दुखद है, अफ़सोस,  घुटना ही सुखद है!
स्वयंसेवा, आत्मोन्नति, आत्मोत्सर्ग सुखद है!


(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 7, 2018 at 10:58am

मेरी इस रचना पर समय देकर प्रोत्साहक टिपप्णियों द्वारा अनुमोदन और मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'

साहिब, जनाब समर कबीर साहिब और जनाब  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'  साहिब।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 4, 2018 at 7:10am

आ. भाई शेख शहजाद उस्मानी जी, बेहतरीन रचना हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on October 2, 2018 at 12:27pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी कविता हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on October 2, 2018 at 6:02am

आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। समसामयिक कटाक्ष करती उम्दा सृजन पर मेरी बधाई स्वीकार कीजिये।सादर

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