For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समझदार बहुत होते हैं- ग़ज़ल


सब तिजारत में समझदार बहुत होते हैं
दाम कम हों तो  ख़रीदार  बहुत  होते हैं


हुस्न में इतनी कशिश है कि इसी कारण से
उनकी  नज़रों के  गिरफ़्तार  बहुत  होते हैं


कौन कहता है क़दरदान नहीं हैं उनके
नेकदिल हो तो तलबगार बहुत होते हैं


दोस्ती होती है  मज़बूत अगर जीवन में
आड़े  मौकों पे मददगार  बहुत  होते  हैं


ये तरीक़ा है अजब मुल्क में अपने देखो
बेगुनह  कम हैं  गुनहगार  बहुत होते हैं !!


मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 765

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on September 6, 2018 at 8:11pm

बहुत बहुत आभार आ लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी

Comment by विनय कुमार on September 6, 2018 at 8:10pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम जनाब समर कबीर साहब, आपके हौसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया. जिस तरह से आप मेरी त्रुटियों को न केवल बताते हैं बल्कि उसे दुरुस्त भी करते हैं, यह आपके बड़प्पन को दर्शाता है. मैं यथोचित सुधार करता हूँ, आगे भी इसी तरह से मार्गदर्शन करते रहिएगा

Comment by विनय कुमार on September 6, 2018 at 8:08pm

आ सुरेंद्र नाथ सिंह कुश्छत्रप जी, ग़ज़ल पर आकर अपनी बहुमूल्य सलाह देने के लिए बहुत बहुत आभार. अभी बस सीख रहा हूँ, प्रयास रहेगा कि आगे से बह्र भी जरूर लिखूं. शुक्रिया

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 6, 2018 at 7:18pm

आ. भाई विनय जी, गजल का अच्छा प्रयास हुआ है । हार्दिक बधाई । 

आ. भाई समर जी की बातों का संज्ञान भी लें ।

Comment by Samar kabeer on September 6, 2018 at 6:37pm

जनाब विनय कुमार जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,लेकिन कथ्य की दृष्टि से कई अशआर बहुत कमज़ोर हैं ।

'लोग अक्सर ही समझदार बहुत होते हैं
दाम जो कम हो खरीददार बहुत होते हैं'

मतले के दोनों मिसरों में रब्त(ताल-मेल) नहीं है,मतला यूँ कर सकते हैं:-

"सब तिजारत में समझदार बहुत होते हैं

दाम कम हों तो ख़रीदार बहुत होते हैं"

'एक तो हुस्न है और मासूमियत भी है 
उनकी नज़रों में गिरफ्तार बहुत होते हैं'

इस शैर का ऊला मिसरा लय में नहीं,और कथ्य की दृष्टि से सानी में भी तरमीम होगी,इस शैर को यूँ कर सकते हैं :-

"हुस्न में इतनी कशिश है कि इसी कारण से

उनकी नज़रों के गिरफ़्तार बहुत होते हैं'

'नेकदिल हों तो तलबगार बहुत होते हैं'

इस मिसरे में 'हों' को "हो" कर लें ।

'दोस्त कुछ आप जिंदगी में बनाये रखिये'

ये मिसरा लय में नहीं है,इसे यूँ कर सकते हैं:-

"दोस्ती होती है मज़बूत अगर जीवन में'

'अपने इस मुल्क़ में अजीब सा तरीका है
एक क़ातिल तो  गुनहगार  बहुत होते हैं'

इस शैर का ऊला मिसरा लय में नहिब,सानी में कथ्य ठीक नहीं इसे यूँ कर लें:-

"ये तरीक़ा है अजब मुल्क में अपने देखो

बेगुनह कम हैं गुनहगार बहुत होते हैं"

बाक़ी शुभ शुभ

Comment by नाथ सोनांचली on September 6, 2018 at 6:24pm

आद0 आली जनाब समर कबीर साहब सादर प्रणाम। चुकि ग़ज़ल पर बह्र लिखने का आग्रह सदैव होता रहा है,अतः मैंने यह लिखा था।  बह्र लिखे होने से हम सीखने वालों को मदद मिलती है। आपने बहुमूल्य जानकारी दी। आपका हृदय तल से आभार

Comment by Samar kabeer on September 6, 2018 at 5:47pm

//ओ बी ओ के नियम के अनुसार ग़ज़ल की बह्र लिखनी आवश्यक है//

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी,बह्र लिखने का कोई नियम ओबीओ पर नहीं है,हाँ ग़ज़लकार से आप बह्र लिखने का आग्रह अवश्य कर सकते हैं ।

विनय कुमार जी की ग़ज़ल के अरकान हैं:-

फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फेलुन

  2122     1122      1122     22

Comment by नाथ सोनांचली on September 6, 2018 at 12:57pm

आद0 विनय जी सादर अभिवादन। ओ बी ओ के नियम के अनुसार ग़ज़ल की बह्र लिखनी आवश्यक है। अगर आप बह्र लिखे होते तो हम शिल्प पर कुछ प्रतिक्रिया देते और कुछ सीखने को हमे मिलता। बहरहाल इस ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार कीजिये। अगर हो सके तो बह्र अवश्य लिखें। सादर

Comment by विनय कुमार on September 6, 2018 at 12:49pm

बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंहजी

Comment by विनय कुमार on September 6, 2018 at 12:48pm

बहुत बहुत आभार आ शेख शहजादजी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी"
3 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"बहुत शुक्रिया आदरणीय तिलकराज कपूर जी, मैं सुधारने की कोशिश करता हूँ।"
3 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश जी फिलबदी है, कल आपकी ग़ज़ल में टिप्पणी के बाद लिखा है।"
4 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,जल्दबाज़ी में मतले को परिवर्तित करने के चलते अभी संभावनाएं बन रही हैं कि समय के साथ…"
5 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. तिलकराज सर,आपकी विस्तृत टिप्पणी ने संबल मिला है.मैं स्वयं के अशआर को बहुत कड़ी परीक्षा से…"
19 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
35 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"श्रद्धेय श्री तिलक राज कपूर जी, आप नाचीज़ की ग़ज़ल तक  पहुँचे, आपका अतिशय आभार, …"
37 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' ग़ज़ल तक आप आये और अपना बहुमूल्य समय दिया, आपका आभारी…"
54 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय गुरमीत सिंह जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका छतरी की मात्रा गिराने हेतु आपकी चिंता ठीक…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु शकूर जी बहुत शुक्रिया आपका "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी "
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service