For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फिर ज़ख़्मों को ...संतोष

अरकान:-

फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फ़ा

फिर ज़ख़्मों को धोने का दिल करता है

चुपके चुपके रोने का दिल करता है

जब जब भी मैं तुझको देखूँ दिलबर

अपना सब कुछ खोने का दिल करता है

होती है जब ग़म की यूरिश इस तन पर

चादर तान के सोने का दिल करता है

काले काले बादल झूम के बरसें तो

तुझको संग भिगोने का दिल करता है

रोते देखूँ जब 'संतोष' किसी को मैं

तब मेरा भी रोने का दिल करता है

~संतोष_खिरवड़कर

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 714

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by santosh khirwadkar on September 26, 2018 at 8:18am

बहुत धन्यवाद आ लक्ष्मण धामी साहब!!!

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 27, 2018 at 9:27am

आ. संतोष भाई सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by santosh khirwadkar on August 25, 2018 at 9:53pm

शुक्रिया आ.बृजेश जी !!!!

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 25, 2018 at 9:02pm

वाह बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आदरणीय...

Comment by santosh khirwadkar on August 25, 2018 at 8:39pm

बहुत धन्यवाद आ.विजय जी !

Comment by vijay nikore on August 25, 2018 at 3:36pm

बहुत ही अच्छी गज़ल लिखी है। हार्दिक बधाई, संतोष जी।

Comment by santosh khirwadkar on August 24, 2018 at 5:28pm

हृदय से आभार आ. शर्मा साहब !!!!!

Comment by santosh khirwadkar on August 24, 2018 at 5:27pm

प्रणाम आ . समर साहब ,बहुत -बहुत शुक्रिया!!!

Comment by santosh khirwadkar on August 24, 2018 at 5:26pm

तहेदिल से शुक्रिया आ आरिफ़ साहब!!

Comment by Sushil Sarna on August 24, 2018 at 3:44pm

वाह आदरणीय संतोष जी बहुत ही खूबसूरत अहसासों की इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
10 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
12 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
14 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service