For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अदेह रूप ...

सर्वविदित है
देह का शून्यता में
विलीन होना
निश्चित है
मगर
अदेह चेतना
सृष्टि में व्याप्त
चैतन्य कणों से
निर्मित
आदि अंत से मुक्त
अनंत
अभिश्रुति की
अभिव्यंजना है
मुझे तुमसे मिलने के लिए
उन अदृश्य कणों से निर्मित
धागों की अदेह को
अपने चेतन में
अवतरित करना होगा
मैं
मेरी देह सी
अतृप्त नहीं रह सकती
मैं
तुमसे
अवश्य मिलूंगी

अपने

अदेह रूप में

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 494

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on June 27, 2018 at 6:56pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 27, 2018 at 6:56pm

आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब। .. प्रस्तुति पर आपकी ऊर्जावान प्रशंसा का दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on June 27, 2018 at 6:56pm

आदरणीय महेन्द्र कुमार जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से शुक्रिया।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 26, 2018 at 8:45pm

आ. भाई सुशील जी, अच्छी रचना हुयी है , हार्दिक बधायी।

Comment by Samar kabeer on June 26, 2018 at 12:01pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत उम्दा और प्रभावी कविता हुई है,इस प्रस्तुती पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mahendra Kumar on June 26, 2018 at 10:45am

उम्दा कविता है आदरणीय सुशील सरना जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर। 

Comment by Sushil Sarna on June 25, 2018 at 2:27pm

आदरणीया नीलम उपाध्याय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on June 25, 2018 at 2:27pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Neelam Upadhyaya on June 25, 2018 at 2:23pm

अच्छी रचना के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय सुशिल सरना जी। 

Comment by TEJ VEER SINGH on June 25, 2018 at 1:02pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी। लाज़वाब प्रस्तुति।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
6 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service