For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वे मकां अक्सर हमें जर्जर मिले

2122 2122 212


आंधियों के बाद भी अक्सर मिले ।।
फिर किसी दरिया में हम बहकर मिले ।।

हौसले ने आसमाँ तब छू लिया ।
आप मुझ से जब कभी हंस कर मिले ।।

हक़ जो मांगा इस ज़माने से यहां ।
दोस्तों के हाथ में ख़ंजर मिले ।।

लूट की थीं दौलतें जिसमें लगीं ।
वो मकां अक्सर हमें जर्जर मिले ।।

क्या गले मिलते भी हम तुमसे सनम ।
प्यार के बदले बहुत पत्थर मिले ।।

ऐ खुदा इतनी दुआ कर दे अता ।
तू हमारी रूह के अंदर मिले ।।

खुद चले आना हमारी बज़्म में ।
वक्त जब भी आप को पल भर मिले ।।

और क्या दे जिंदगी के बाद वो ।
आप भी कब मुतमइन होकर मिले ।।


जीत लेंगे जंग उम्मीदों से हम।
क्या हुआ हालात जो बदतर मिले ।।

जब पता पूछा किसी से हुस्न का ।
घर बताते आपका रहबर मिले ।।

वह ग़ज़ल कहने लगी है इश्क़ में ।
अब तो उसकी शायरी को पर मिले ।।

--नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 459

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 16, 2018 at 10:33pm

आ0 बृजेश कुमार जी सादर आभार 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 15, 2018 at 5:41pm

बढ़िया ग़ज़ल कही है आदरणीय त्रिपाठी जी..

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 14, 2018 at 11:04pm

आ0 हर्ष महाजन साहब सादर आभार

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 14, 2018 at 11:03pm

आ0 कबीर सर सादर नमन के साथ आभार । तुरन्त आडिट करता हूँ ।

Comment by Harash Mahajan on March 14, 2018 at 2:46pm

आदरणीय नवीन मनी त्रिपाठी जी एक अच्छी पेशकश के लिए बधाई स्वीकार करें । जैसा आ0 आरिफ जी ने कहा ऊनि तरफ ध्यान देंगे तो ग़ज़ल पढ़ने वालों को और भी मज़ा आएगा । बहुत बेहतरीन अश'आर सजाए हैं आपने अपनी इस ग़ज़ल में । दिली दाद कबूल कीजियेगा ।

सादर ।

Comment by Samar kabeer on March 14, 2018 at 2:41pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

2रे शैर के।ऊला में 'आसमा' को "आसमाँ" कर लें ।

'वक़्त  जब तुमको कोई शब भर मिले'

इस मिसरे को यूँ कर लें :-

'वक़्त जब भी आपको पल भर मिले'

10वें शैर में 'पूंछा' को "पूछा" करें,पहले भी कई बार बता चुका हूँ ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 14, 2018 at 11:55am
आ0 मु0 आरिफ साहब सप्रेम आभार ।
Comment by Mohammed Arif on March 14, 2018 at 8:51am

आदरणीय नवी मणि  त्रिपाठी जी आदाब,

                       बहुत भी उम्दा ग़ज़ल । अश'आरों से सुसज्जित । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें । कुछ वर्तनीगत अशुद्धियाँ हैं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"घास पूस की छत बना, मिट्टी की दीवारबसा रहे किसका कहो, नन्हा घर संसार। वाह वाह वाह  आदरणीय…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक रक्तले सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर खुश हूं। मेरे प्रयास को मान देने के लिए…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार आपका। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकर मुग्ध हूं। हार्दिक आभार आपका। मैने लौटते हुए…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। चित्र के अनुरूप सुंदर दोहे हुए है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। चित्र को साकार करते अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।  भाई अशोक…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार। छठे दोहे में सुधार…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र आधारित दोहा छंद टूटी झुग्गी बन रही, सबका लेकर साथ ।ये नजारा भला लगा, बिना भेद सब हाथ…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्र को साकार करती उत्तम दोहावली हुई है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाई, आपकी प्रस्तुति ने आयोजन का समाँ एक प्रारम्भ से ही बाँध दिया है। अभिव्यक्ति में…"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  दोहा छन्द * कोई  छत टिकती नहीं, बिना किसी आधार। इसीलिए मिलजुल सभी, छत को रहे…"
16 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त चित्र पर अच्छे दोहे रचे हैं आपने.किन्तु अधिकाँश दोहों…"
17 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service