For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं ....

मैं
कल भी
ज़िंदा था
आज भी
ज़िंदा हूँ
और
कल भी
ज़िदा रहूंगा

फ़र्क
सिर्फ़ इतना है
कि

मैं
कल गर्भ था
आज
देह हूँ
कल
अदेह हो जाऊंगा

गर्भ की यात्रा से शुरू
मैं
मैं की केंचुली छोड़

अनंत के गर्भ में
अमर
अदेह हो जाऊंगा

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 682

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 30, 2018 at 4:58pm

आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 30, 2018 at 4:58pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन को आत्मीय सम्मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 30, 2018 at 4:58pm

आदरणीय विजय निकोर साहिब , सादर प्रणाम , सृजन के भावों पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 30, 2018 at 4:57pm

आदरणीय मो आरिफ साहिब आदाब , सृजन को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by narendrasinh chauhan on January 29, 2018 at 12:35pm

KHUB SUNDAR BHAV PURNA RACHNAA

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 28, 2018 at 2:35pm

बेहतरीन.. हार्दिक बधाई

Comment by vijay nikore on January 28, 2018 at 9:07am

//मैं 
कल गर्भ था 
आज 
देह हूँ 
कल 
अदेह हो जाऊंगा//

इस दार्शनिक रचना के लिए हार्दिक बधाई, भाई सुशील जी।

Comment by Mohammed Arif on January 28, 2018 at 8:18am

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,

                          बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on January 27, 2018 at 12:08pm

आदरणीय  पंकजोम " प्रेम " जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on January 27, 2018 at 12:07pm

आदरणीय उस्मानी साहिब सृजन को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"//उसकी तारीफ़ में जो कुछ भी ज़ुबां मेरी कहेउसको दरिया-ए-मुहब्बत की रवानी लिखना// वाह! नयापन है इस…"
25 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ! अच्छी ग़ज़ल से मुशाइरा आरंभ किया आपने। बहुत बधाई! // यूँ वसीयत में तो बेटी…"
39 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हर कहानी को कई रूप रुहानी लिखना जाविया दे कहीं हर बात नूरानी लिखना मौलवी हो या वो मुल्ला कहीं…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"सहृदय शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल पर इस ज़र्रा नवाज़ी का"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"सहृदय शुक्रिया आदरणीय दयाराम जी ग़ज़ल पर इस ज़र्रा नवाज़ी का"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"सादर आदरणीय सौरभ जी आपकी तो बात ही अलग है खैर जो भी है गुरु जी आदरणीय समर कबीर ग़ज़ल के उस्ताद हैं…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी शुक्रिया आदरणीय मंच के नियमों से अवगत कराने के लिए"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथलेश जी, गलती से ऐसा हो गया था। आपकी टिप्पणी के पश्चात ज्ञात हुआ तो अब अलग से पोस्ट कर दी…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"ग़ज़ल - 2122 1122 1122 22 काम मुश्किल है जवानी की कहानी लिखनाइस बुढ़ापे में मुलाकात सुहानी लिखना-पी…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरी समर साहब से तीन दिन पहले ही बातें हुई थीं। उनका फोन आया था। वे 'दुग्ध' शब्द की कुल…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, आपने शानदार ग़ज़ल कही है। गिरह भी खूब लगाई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी, आपने बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service