For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल....रूप लम्हों में बदलती ज़िन्दगी का क्या करूँ

2122 2122 2122 212
रूप लम्हों में बदलती ज़िन्दगी का क्या करूँ
हौसलों का क्या करूँ चीने जबीं का क्या करूँ

रंग लाती ही नहीं अश्कों दफ़न की कोशिशें
आँख में आती नज़र रंजो ग़मी का क्या करूँ

​​रो रही है रात गुमसुम चाँद तारे मौन है
आग अंतस में लगाये चाँदनी का क्या करूँ

ओढ़ चादर कोहरे की कपकपाते होंसले
हर कदम पे थरथराते आदमी का क्या करूँ

हों इरादे आसमां तो जुगनुओं से रोशनी
आप घर खुद ही जलाये रोशनी का क्या करूँ

गुनगुनायें गीत कैसे औ कहें कैसे ग़ज़ल
जो समझ आती नहीं तो शायरी का क्या करूँ

चीने जबीं-माथे की सलवट
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 919

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 19, 2017 at 4:54pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय सुरेन्द्र जी..सादर
Comment by नाथ सोनांचली on May 19, 2017 at 3:47am
आद0 ब्रजेश कुमार जी सादर अभिवादन, उम्दा गजल के लिए बधाई स्वीकारें
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 18, 2017 at 9:54pm
आदरणीय लक्षमण जी सुन्दर शब्दों में उत्साहवर्धन के लिए ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ...सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 18, 2017 at 9:53pm
उचित है आदरणीय अनुराग जी सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 18, 2017 at 9:49pm
जरूर आदरणीय महेंद्र जी..रचना पटल पे आपकी उपस्थिति स्वागतयोग्य है..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 18, 2017 at 9:48pm
आदरणीय गिरिराज जी आपकी अमूल्य सलाह के लिये ह्रदय से अभिनन्दन वंदन..सादर
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 18, 2017 at 12:05pm

आ. भाई बृजेश जी , सुंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई ।

Comment by Mahendra Kumar on May 17, 2017 at 9:43am

अच्छी ग़ज़ल है आदरणीय बृजेश जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. गुणिजनों की बातों पर ध्यान दीजिएगा. सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 16, 2017 at 9:33pm

आदरणीय बृजेश भाई , अच्छी लगी आपकी गज़ल , बधाइयाँ स्वीकार करें । गुणिजनो की सलाहों पर गौर कीजियेगा ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 16, 2017 at 4:56pm
अभी नेटवर्क में न होने के कारन आपका लिंक ओपन नहीं कर पा रहा हूँ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
34 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
9 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service