For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -चुप कह के, क़ुरआन, बाइबिल गीता है - ( गिरिराज )

22   22   22   22   22   2

हर चहरे पर चहरा कोई जीता है

और बदलने की भी खूब सुभीता है

 

सांप, सांप को खाये, तो क्यों अचरज हो

इंसा भी जब ख़ूँ इंसा का पीता है

 

अर्थ लगाने की है सबको आज़ादी

चुप कह के, क़ुरआन, बाइबिल गीता है

 

भेड़, बकरियों, खर , खच्चर , हर सूरत में

अब जंगल में जीता केवल चीता है

 

बादल तो बरसा था सबके आँगन में

उल्टा बर्तन रीता था, वो रीता है

 

फर्क हुआ क्या नाम बदल के सोचो तो

पहले जो थी सलमा अब वो सीता है

 

बन्द आँखों की दुनिया उल्टी है यारो

जिसने हारा सब कुछ वो ही जीता है  

**********************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 545

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on March 24, 2017 at 5:32am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सादर अभिवादन, सांप, सांप को खाये, तो क्यों अचरज हो
इंसा भी जब ख़ूँ इंसा का पीता है
वाह बहुत खूब आदरणीय गिरिराज जी भाई साहिब .... हकीकत बयां करते अशआर की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई निवेदित हैं
Comment by PRAMOD SRIVASTAVA on March 24, 2017 at 12:04am

बेहतरीन गजल ।

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on March 23, 2017 at 7:10pm

आदरणीय गिरिराज साहेब ......बेहतरीन ग़ज़ल हुई है ........बधाई स्वीकार करें 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 23, 2017 at 5:16pm
बादल तो बरसा था सबके आँगन में
उल्टा बर्तन रीता था, वो रीता है...वाह आदरणीय वाह हर एक शेर लाजबाब..सादर
Comment by Mohammed Arif on March 23, 2017 at 2:08pm
आदरणीय गिरिराज जी आदाब, बहुत बेहतरीन ग़ज़ल । शेर दर शेर दाद के साथ मुबारक़बाद क़ुबूल करें ।
Comment by Sushil Sarna on March 23, 2017 at 2:06pm

सांप, सांप को खाये, तो क्यों अचरज हो
इंसा भी जब ख़ूँ इंसा का पीता है

वाह बहुत खूब आदरणीय गिरिराज जी भाई साहिब .... हकीकत बयां करते अशआर की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई सर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आपका सुधार श्लाघनीय है। सादर"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय इस मंच पर न कोई उस्ताद है न कोई शागिर्द। यहां सभी समवेत भाव से सीख रहे हैं। यहां गुरु चेला…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service