For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

श्रद्धा - लघुकथा –

श्रद्धा - लघुकथा –

शिव रात्रि के मौके पर गाँव में शिव जी की रथ यात्रा निकाली जा रही थी। गाँव के हर घर के आगे रथ यात्रा रुक जाती थी  । रथ यात्रा के साथ जो स्वंय सेवक लोग जुलूस के रूप में चल रहे होते थे वह घर के लोगों को आग्रह करते थे कि  भोले नाथ जी के दर्शन का लाभ लें। घर के सभी लोग, स्त्रियाँ और बच्चे  दर्शन करते और दान पात्र में कुछ दान पुन्य भी करते। बदले में उन्हें कुछ प्रसाद भी मिलता |

रथ यात्रा का जुलूस अभी गाँव के बीच हरिजन टोला में ही था कि दो दस बारह वर्ष के लड़के एक गेंदे के फूलों की माला पकड़े एक दूसरे को, उस माला को शिव जी की मूर्ति पर डालने को, उकसा रहे थे।अंत में एक लड़के ने हिम्मत करके वह माला शिव जी की मूर्ति पर  फेंक दी।माला सीधे भोले नाथ के गले में पहुंच गयी। कुछ दर्शकों ने तालियाँ भी बजा दीं।

स्वंय सेवकों में कुछ खुसुर पुसुर हुई। अचानक सब मिलकर उस लड़के को पीटने लगे।

कुछ बुजुर्ग बीच में आये,"क्या हुआ, भैया जी, क्यों मार रहे हो इस बेचारे को"।

"इसने  मूर्ति अपवित्र कर दी। यह अछूत है"।

"तो भैया जी, आप हम अछूतों के मुहल्ले में यह रथ यात्रा निकालते ही क्यों हो"।

"इसलिये कि यहाँ, आप लोगों में भी शिव भक्त रहते हैं"।

"मगर भैया जी, फिर वे लोग अपनी श्रद्धा और भक्ति का प्रदर्शन किस प्रकार करेंगे"।

"उसके लिये ही तो दान पात्र है । दान दो और पुन्य कमाओ ” ।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 814

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on March 5, 2017 at 3:33pm

हार्दिक आभार आदरणीय राहिला आसिफ़ जी।

Comment by Rahila on March 4, 2017 at 12:12pm
आदरणीय तेजवीर सर जी, बड़ा तीखा कटाक्ष किया है आपने लघुकथा के माध्यम से. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर
Comment by TEJ VEER SINGH on March 4, 2017 at 12:01pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 4, 2017 at 12:00pm

हार्दिक आभार आदरणीय जवाहर लाल जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 4, 2017 at 11:59am

हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर  जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 4, 2017 at 11:59am

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ आशुतोष  जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 4, 2017 at 11:58am

हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 3, 2017 at 9:50pm
कटाक्ष पूर्ण बेहतरीन रचना हेतु सादर हार्दिक बधाई आपको आदरणीय तेज वीर सिंह जी।
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 3, 2017 at 8:27pm

यही तो हो रहा है. आपका कटाक्ष सटीक है! आदरणीय तेजवीर सिंह जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 1, 2017 at 3:41pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, बड़ा तीखा कटाक्ष किया है आपने लघुकथा के माध्यम से. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
""आदरणीय मिथिलेश भाईजी,  हार्दिक बधाई इन पाँच मुकरियों के लिए | मेरी जानकारी के अनुसार…"
38 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, हार्दिक बधाई मुकरियों का चौका जड़ने के लिए।  द्वितीय में ............ तीन…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील भाईजी, इन पाँच  सुंदर  मुकरियाँ के लिए हार्दिक बधाई। अंतिम की अंतिम पंक्ति…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कह-मुकरी * प्रश्न नया नित जुड़ता जाए। एक नहीं वह हल कर पाए। थक-हार गया वह खेल जुआ। क्या सखि साजन?…"
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कभी इधर है कभी उधर है भाती कभी न एक डगर है इसने कब किसकी है मानी क्या सखि साजन? नहीं जवानी __ खींच-…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय तमाम जी, आपने भी सर्वथा उचित बातें कीं। मैं अवश्य ही साहित्य को और अच्छे ढंग से पढ़ने का…"
21 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय सौरभ जी सह सम्मान मैं यह कहना चाहूँगा की आपको साहित्य को और अच्छे से पढ़ने और समझने की…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कह मुकरियाँ .... जीवन तो है अजब पहेली सपनों से ये हरदम खेली इसको कोई समझ न पाया ऐ सखि साजन? ना सखि…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"मुकरियाँ +++++++++ (१ ) जीवन में उलझन ही उलझन। दिखता नहीं कहीं अपनापन॥ गया तभी से है सूनापन। क्या…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"  कह मुकरियां :       (1) क्या बढ़िया सुकून मिलता था शायद  वो  मिजाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"रात दिवस केवल भरमाए। सपनों में भी खूब सताए। उसके कारण पीड़ित मन। क्या सखि साजन! नहीं उलझन। सोच समझ…"
yesterday
Aazi Tamaam posted blog posts
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service