For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देश ये महान है--घनाक्षरी// अलका ललित

घनाक्षरी में आज का प्रयास
***
चेहरा चमक रहा
बटुआ खनक रहा
सबका है मन काला
देश ये महान है

.

योजनाएं बड़ी बड़ी
बनाते है हर दिन
कैसे करना घोटाला
देश ये महान है

.

हर योजना में यहॉ
देश के खजाने पर
हुआ गड़बड़ झाला 
देश ये महान है

.

बेटियां सुबक रही
डर के दुबक रही
राम व रहीम वाला 
देश ये महान है

.

मौलिक व अप्रकाशित

Alka*

Views: 756

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on February 7, 2017 at 4:50pm

आदरणीय Dr.Ashutosh Mishra ji  ,उत्साह वर्धक सराहना के लिए सादर धन्यवाद ।  सादर। 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on February 7, 2017 at 4:49pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी  जी  ,उत्साह वर्धक सराहना के लिए सादर धन्यवाद ।  सादर। 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 7, 2017 at 3:35pm

आदरणीया अलका जी रचना पर हार्दिक बधाई सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 6, 2017 at 6:31pm

आदरणीया अलका जी, इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on February 5, 2017 at 7:37pm

आदरणीय मुहम्मद आरिफ  जी  ,उत्साह वर्धक सराहना के लिए सादर धन्यवाद ।  सादर। 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on February 5, 2017 at 7:36pm

आदरणीय अशोक कुमार जी  ,उत्साह वर्धक सराहना के लिए सादर धन्यवाद ।  सादर।  

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on February 5, 2017 at 7:35pm

आदरणीय सौरभ सर ,आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन  के लिए सादर धन्यवाद । सुझाव अनुसार सुधार करती हूँ।  सादर।  

Comment by Mohammed Arif on February 5, 2017 at 6:44pm
आदरणीया अलका जी,आदाब! क्या ख़ूब घनाक्षरी छंद कहा है आपने । अच्छा करारा व्यंग्य है । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Ashok Kumar Raktale on February 5, 2017 at 4:11pm

वाह ! वाह ! बहुत सुंदर घनाक्षरी है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें आदरणीया अलका ललित जी. सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 5, 2017 at 1:14pm

इस सद्प्रयास केलिए हार्दिक बधाइयाँ .. 

कथ्य पर अधिक न कहूँगा, सिवा इसके कि व्यंग्य का पुट सामयिक है.

पहली पंक्ति को यों करें - 

चेहरा चमक रहा
बटुआ खनक रहा
सबका है मन काला
देश ये महान है

विश्वास है, गेयता के सापेक्ष यह सुधार अपेक्षित लग रहा होगा..

शुभ-शुभ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
10 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service