For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


बेपर्दा ....

तमाम शब्
अधूरी सी
इक नींद
ज़हन की
अंगड़ाई में
छुपाये रहती हूँ

इक *मौहूम सी
मुस्कान
लबों पे

थिरकती रहती है

सुर्ख रूख़सारों पे
ज़िंदा है
वो तारीकी की ओट में लिया
इक गर्म अहसास का
नर्म बोसा

डर लगता है
सहर की शरर
मेरी हया को
बेपर्दा न कर दे
जिसे छुपाया
अपनी साँसों से भी
कहीं ज़माने को

वो
ख़बर न कर दे

*मौहूम=भ्रमित

सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 570

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on November 17, 2016 at 12:41pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी रचना के भावों प्रोत्साहन देती आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by TEJ VEER SINGH on November 16, 2016 at 9:18pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी।बेहतरीन कविता।

Comment by Sushil Sarna on November 16, 2016 at 12:54pm

आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्तुति को आत्मीय सम्मान देने का तहे दिल से शुक्रिया। आपका सुझाव और भी प्रभावशाली है। मैं इसे अभी एडिट कर पुनः प्रेषित करता हूँ। आपका हार्दिक हार्दिक आभार।

Comment by Samar kabeer on November 15, 2016 at 8:26pm
जनाब सुशील सरना साहिब आदाब,बहुत ख़ूब वाह, अच्छी लगी आपकी ये कविता भी,दिल से बधाई स्वीकार करें ।
14वीं पंक्ति'वो तारीक की ओट में लिया'इस पंक्ति को शायद यूँ होना था "वो तारीकी की ओट में लिया"क्या ये उचित है ?
Comment by Sushil Sarna on November 15, 2016 at 5:05pm

आदरणीय  लक्ष्मण रामानुज लडीवाला   जी प्रस्तुति में निहित भावों को स्वीकृति देती आपकी आत्मीय प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया का दिल से आभार। 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 15, 2016 at 3:31pm

डर लगता है, सहर की शरर 
मेरी हया को बेपर्दा न कर दे, 
जिसे छुपाया अपनी साँसों से भी 
कहीं ज़माने को वो ख़बर न कर दे | -  बहुत खूब | असलियत में आज महिलाओं में खौफ है, दर है | जब कोई लडकी धर से निकलती है तो उसके घर लौटने तक माँ-बाप चिंतित रहते है | सुंदर रचना के लिए बधाई श्री सुशील सरना जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आपका सुधार श्लाघनीय है। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय इस मंच पर न कोई उस्ताद है न कोई शागिर्द। यहां सभी समवेत भाव से सीख रहे हैं। यहां गुरु चेला…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय रिचा जी बधाई स्वीकार करें"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service