For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब, क्या बोलूं मैं ...

अब ,क्या बोलूं मैं ...

अब
क्या बोलूं मैं


जब
मेरे स्वप्निल शब्दों ने
यथार्थ का
आकार लेना शुरू किया
तो भोर की
एक रशिम ने
मेरे अंतरंग पलों पर
प्रहार कर दिया

मैं अनमनी सी
सुधियों के शहर से
लौट आयी
यथार्थ की
कंकरीली ज़मीन पर

मेरी उम्मीदों की मीनारें
ध्वस्त हो कर
मेरी पलकों की मुट्ठी से
निःशब्द
गिरती रही

तिल-तिल जुड़ने की आस में

मैं रेशा-रेशा
उधड़ती रही


खड़ी रही
किसी वीरान से चौराहे पर
अपने अधूरेपन के
पूरा होने की प्रतीक्षा में

मेरे सिन्दूर के
नयन घटों का
उदासियों की चिता से
शृंगार हो गया
मेरी देह पे
जन्मों के लिए
तुम्हारी छुअन का
अधिकार हो गया

प्रतीक्षा हंसती रही
शनै शनै
मेरी नाउम्मीदी की
अनंत कहानी का
उपसंहार हो गया

मेरे शब्द
अँधेरे कमरे में
तैरते प्रश्नों की कैद में
दम तोड़ने लगे
अनुतरित प्रश्नों की
कौंधती बिजलियों में
मैं झुलसने लगी
तुम ही बताओं
अपने
मधुपलों के अवशेषों से
स्वर उधार लेकर
तुमसे
क्या बोलूं मैं

सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 1077

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on November 11, 2016 at 7:23pm

आदरणीय  डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा जी आपकी स्नेहिल प्रशंसा ने सृजन को जो ऊर्जा प्रदान की है उसके लिए आपका दिल से हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on November 11, 2016 at 7:21pm

आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्तुति को आपके शीरीं अल्फ़ाज़ों ने जो लिबास नवाज़ा है उसके लिए बन्दा आपके तहे दिल से शुक्रिया अदा करता है। 

Comment by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on November 11, 2016 at 5:49pm

अनुभूत वेदना सुन्दर अभिव्यक्ति: खड़ी रही...किसी वीरान से चौराहे पर ...अपने अधूरेपन के ...पूरा होने की प्रतीक्षा में...

और "अनंत कहानी का ...उपसंहार' सुन्दर आयाम!

बधाई सुशील सरना जी.

Comment by Samar kabeer on November 10, 2016 at 9:01pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,हमेशा की तरह बहतरीन कविता लिखी है आपने,भरपूर शाइरी,कामयाब शाइरी,में तो जैसे बहने लगा,डूबने लगा इस के भवों में,बहुत ख़ूब वाह, इस बहतरीन प्रस्तुति पर ढेरों बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sushil Sarna on November 10, 2016 at 3:55pm

आदरणीय गिरिराज भाई साहिब प्रस्तुति के भावों को अपनी सहमति से अलंकृत कर उसका मान बढाने का हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 10, 2016 at 3:02pm

आदरनीय खूब सूरत , भाव पूर्ण कविता के लिए आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
4 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
8 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service