For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहर २१२२ २१२२ २१२२ २१२

दोस्तों के वेश में देखो यहाँ दुश्मन मिले

चाह गुल की थी मगर बस खार के दंशन मिले |

यारों का अब क्या भरोसा, यारी के काबिल नहीं

जग में केवल रब ही है, जिन से ही सबके मन मिले|

गुन गुनाते थे कभी फूलों में भौरों की तरह

सुख कर गुल झड़ गए तो भाग्य में क्रंदन मिले  |

कोशिशें हों ऐसी हर इंसान का होवे भला

उद्यमी नेकी को शासक से भी अभिनन्दन मिले |

देश भक्तों ने है त्यागे प्राण औरों के लिए

उन शहीदों को भी सारे देश का वन्दन मिले |

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

Views: 467

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 13, 2016 at 2:17pm

वाह ! आदरणीय कालीपद प्रसाद मंडल जी सादर, बहुत अच्छी गजल हुई है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सुख  या सूख  देख लें. सादर.

Comment by Kalipad Prasad Mandal on September 13, 2016 at 8:32am

आदरणीय गिरिराज जी, नमस्कार, देरी के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ |

मैं बहर का पालन तो कर लेता हूँ परन्तु पढने में मुझे भी अटकाव महसूस होता है ; इसे दूर करने किये दूर करने के लिए कोई उपाय सुझाइए | फिलहाल अभी जो सुझाव आपने दिया है, तदनुसार मैंने सुधार कर लिया | आगे भी कृपा बनाए रखिये |

सादर 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on September 13, 2016 at 8:23am

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ,देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ |आज कल मेरा इन्टरनेट मन मौजी कर रहा है | कभी आता है कभी जाता है | इसीलिए नियमित हाज़िर नहीं हो पा रहा हूँ | ग़ज़ल की तारीफ़ के लिए हार्दिक धन्यवाद | मैंने सुधार कर लिया है | आगे भी कृपा बनाए रखिये |

सादर 

Comment by Samar kabeer on September 11, 2016 at 3:48pm
जनाब कालीपद प्रसाद मंडल जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
दूसरे शैर में चूँकि 'भरोसा'पुल्लिंग है इसलिये'यारों की' की जगह "यारों का"लिखें ।
चौथे शैर में 'कोशिशें' चूँकि स्त्रीलिंग है इसलिये 'कोशिशें हों ऐसा'की जगह "कोशीशें हों ऐसी"लिखें ।
चौथे शैर का सानी मिसरा बह्र के हिसाब से चेक करलें ।
आख़री शैर के ऊला मिसरे में'त्यागे'की जगह "त्यागो"लिखें । बाक़ी शुभ शुभ

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 11, 2016 at 3:47pm

आदरनीय काली पद भाई , गज़ल का बहुत अच्छा प्रयास कुछ है , और प्रयास की दिशा भी सही है , हार्दिक बधाइयाँ ।

दोस्तों के वेश में देखो यहाँ दुश्मन मिले

मिलना था गुल मुझको काँटों का मुझे दंशन मिले | बहर सही है ... पर शब्द संयोजन सही न होने के कारण अटकाव है

चाह गुल की थी मगर बस खार के दंशन मिले

यारों की अब क्या भरोसा, यारी के काबिल नहीं      --- यारों का भरोसा

जग में केवल रब ही है, जिन से ही सबके मन मिले|

गुन गुनाते थे कभी फूलों में भौरों की तरह

फूल सुख कर झड़ गए तो भाग्य में क्रंदन मिले  |  सुख नही सूख  ..... सूख कर  गुल झड़ गये तो .....      

कोशिशें हों ऐसा हर इंसान का होवे भला  ----   कोशिशें हों ऐसी

उद्यमी नेकी को शासक से भी अभिनन्दन मिले |    बहुत अच्छा

देश भक्तों खुद ही त्यागे प्राण औरों के लिए   --  देख भक्तों ने है त्यागे प्राण औरों के लिये

उन शहीदों को भी सारे देश का वन्दन मिले |

कहन मे सम्भावनायें बहुत होतीं हैं , चाहे तो आप स्वयम  कुछ और सुधार कर सकते हैं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)

बह्र : 2122 2122 2122 212 देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिलेझूठ, नफ़रत, छल-कपट से जैसे गद्दारी…See More
36 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपने अन्यथा आरोपित संवादों का सार्थक संज्ञान लिया, आदरणीय तिलकराज भाईजी, यह उचित है.   मैं ही…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत शुक्रिया आपका बहुत बेहतर इस्लाह"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी जी, आपने बहुत शानदार ग़ज़ल कही है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी, अपनी समझ अनुसार मिसरे कुछ यूं किए जा सकते हैं। दिल्लगी के मात्राभार पर शंका है।…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मनुष्य से आवेग जनित व्यवहार तो युद्धभा में भी वर्जित है और यहां यदा-कदा यही आवेग ही निरर्थक…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर ख़ुशी हुई। मेरे प्रयास को मान देने के लिए…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपके…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service