For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहर : २ १ २ २  २ १ २ २   २ १  २  

 

आई जब तू जिन्दगी हँसने लगी

तू मेरे हर  सपने में रहने लगी |

धीरे धीरे तेरी चाहत बढ़ गई

देखा तू भी  प्रेम में झुकने लगी |

जिन्दगी का रंग परिवर्तन हुआ

प्रेम धारा जान में बहने लगी |

राह चलते हम गए मंजिल दिखा

फिर भी जीना जिन्दगी गिनने लगी |

देखिये शादी के इस बाज़ार में

हाट में दुल्हन यहाँ  बिकने लगी |

शमअ बिन तो तम डराने  जब लगा

जिन्दगी को जिन्दगी छलने लगी |

दीप का लौ  झिलमिलाते ही रहे

एक आँधी तेजी से बहने लगी |

 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 542

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kalipad Prasad Mandal on September 10, 2016 at 7:28am

आदरणीय शिज्जू "शकूर " जी ,आदाब ! ब्लॉग पर आने और अमूल्य विचार प्रगट करने के लिए आपका आभार | परन्तु 

"हँसने" और "रहने " में क्या दोष है समझ में  नहीं आया | "ने " हर्फे रवी है उसके पूर्व स्वर "अ " है ,स्वर साम्य  है ,परन्तु उसके पूर्व व्यंजन "स"और "ह' है जो साम्य  नहीं है |अत:उसके पहले  ह और र से कोई वास्ता नहीं है |हमें "ने" के पूर्व स्वर तक निभाने की वाध्यता है |ऐसा मैं सोचता हूँ | आगे आप किस दोष के बारे में कह रहे हैं, मैं समझ नहीं पाया, कृपया बिस्तार से कहे,|

सादर  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 8, 2016 at 10:56am

आदरणीय कालिपद जी ग़ज़ल पर प्रयास अच्छा है आपका, काफी कुछ समर साहब ने कह दिया है मेरी तरफ से बधाई आपको, मैं एक बात ज़रूर कहूँगा कि काफ़िया चयन में सावधानी रखी जाए तो ऐब से मुक्त रहा जा सकता है, इस ग़ज़ल के मतले में आपने हँसने और रहने काफिया लिया है जो नियमानुसार दोषपूर्ण है।

Comment by Samar kabeer on September 8, 2016 at 10:29am
मुआफ़ कीजियेगा,'जब इक आंधी तेज़ी से बहने लगी'ग़लती से ये मिसरा लिख दिया,अस्ल में ये मिसरा लिखना चाहता था:-
"दीप की लौ झिलमिलाती ही रही
एक आंधी तेज़ी से बहने लगी"
में ये लिख ही रहा था कि आपने एडिट भी करदी ।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on September 7, 2016 at 9:56pm

आदरणीय समर कबीर जी ,आदाब ! हर शेर को ध्यान से पढने और कमियों को दूर करने का सुझाव देने किये तहे दिल से आभार | मैंने कापी में सुधार लिया है | एक  बात सिखने  को मिली --"जब इक " को पढ़ते  समय उच्चारण 'जबि क ' ही होगा न ?और इसे २१ ही लिया जायगा ?

सादर 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on September 7, 2016 at 9:44pm

आ आमोद जी शेर पसंद करने के लिए धन्यवाद 

Comment by Samar kabeer on September 7, 2016 at 3:44pm
जनाब कालीपद प्रसाद मंडल जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
ग़ज़ल का ये शैर देखिये:-
'मांग खुब है शादी के बाजार में
हाट में ही दुल्हनें बिकने लगी'

इस शैर के ऊला मिसरे में 'खुब'शब्द सही नहीं,सही शब्द है "ख़ूब",दूसरी बात 'दुल्हनें'शब्द की वजह से रदीफ़ एक वचन से बहुवचन हुई जा रही है'लगीं' ।ये शैर इस तरह से ठीक होगा:-
"देखिये शादी के इस बाज़ार में
हाट में दुल्हन यहां बिकने कगी"
छटे शैर के ऊला मिसरे में आपने फिर वही शब्द'खुब'बांध लिया है,यहां "खुब"की जगह"जब"कर लें।
आख़री शैर:-
'दीप का लौ झिलमिलाते ही रहे
आंधियां जब तेज़ी से बहने लगी"
इस शैर में भी 'आंधियां'शब्द की वजह से रदीफ़ बहुवचन हो रही है,'लगीं',इस शैर को इस तरह किया जा सकता है :-
"दीप की लौ झिलमिलाती ही रही
जब इक आंधी तेज़ी से बहने लगी"
बाक़ी शुभ शुभ
Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 7, 2016 at 2:03pm
मांग खूब है सादी के बाजार में .....बेहतरीन व्यंगात्मक शेर
Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 7, 2016 at 2:01pm
वह्ह्ह सर मस्त भाव सृजन

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आप वस्तुतः एक बहुत ही साहसी कथाकार हैं, आ० उस्मानी जी. "
4 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीया विभा रानी जी, प्रस्तुति में पंक्चुएशन को और साधा जाना चाहिए था. इस कारण संप्रेषणीयता तनिक…"
6 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"सादर नमस्कार आदरणीय सर जी। हमारा सौभाग्य है कि आप गोष्ठी में उपस्थित हो कर हमें समय दे सके। रचना…"
19 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रस्तुति नम कर गयी. रक्तपिपासु या हैवान या राक्षस कोई अन्य प्रजाति के नहीं…"
20 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"घटनाक्रम तनिक खिंचा हुआ प्रतीत तो हो रहा है, लेकिन संवादों का प्रवाह रुचिकर है, आदरणीय शेख शहज़ाद…"
25 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"मनोविज्ञान नातिन वाला बाल मनोविज्ञान और नानी व ऐसे पीड़ितों का मनोविज्ञान और मनोदशा में। रचना में…"
27 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"रचना पर प्रतिक्रिया और राय हेतु शुक्रिया आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी। मेरी समझ अनुसार जो अपने…"
37 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय निलेश जी सादर, प्रस्तुत छंद पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार. होतीं 'हैं'…"
40 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत घनाक्षरी की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार.…"
45 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर, मेरा तो अनुभव रहा है, यदि कोई आपको रचना के पुनरावलोकन की सलाह दे…"
46 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"   आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुत छंद पर आपकी सराहना पाकर रचनाकर्म सार्थक हुआ. आपका…"
55 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"कार्यालयों में अपना काम करवाने की एवज में इस तरह का शोषण एक दुखद स्तिथि है। बधाई आदरणीया एक अच्छी…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service