For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक संदेश : बेटियों के नाम (कुकुभ छन्द )/ सुरेश कुमार ' कल्याण '

मेरी बेटी अब तुम जागो
- - - - - - - - -

मेरी बेटी अब तुम जागो, पढ़ लिख कुछ बन दिखलाओ।
नहीं पैर की जूती औरत, दुनिया को ये बतलाओ ।

वक्त पुराना बीत चुका तू, घर की शोभा होती थी ।
झाड़ू पोंछा मार पिटाई, सिर पे बोझा ढोती थी ।
पढ़ना लिखना नहीं भाग में, अनपढ़ता में रोती थी ।
ज्ञान पुष्प बरसाकर सुन्दर, बगिया को तुम महकाओ।
मेरी बेटी अब तुम---------।

लीपा पोती चुल्हा चौका, सबको लगते हैं प्यारे।
औरत ने सदियों से बेटी, फूल खिलाए हैं न्यारे।
पढ़ले बेटी पढ़ले पोती, है इज्जत हाथ तिहारे।
सूने-सूने इस जीवन को, ज्ञान-जोत से चमकाओ।
मेरी बेटी अब तुम---------।

अनपढ़ता की लीक छोड़कर, गढ़ सा तुझको गढ़ना है ।
त्याग गुलामी के परदे को, आगे तुझको बढ़ना है ।
निकल गाँव गलियों से तूने, हक की खातिर लड़ना है ।
लाज शर्म को त्यागो बेटी, खेलकूद भी अपनाओ।
मेरी बेटी अब तुम-----------।

दुनिया का मुंह मोड़ उठा ले, हाथों में कलम दवातें।
अबलापन लाचारी छोड़ो, तब यह बीतेंगी रातें।
बढ़ा हौसला बन जा चंडी, ना कर दबने की बातें।
बेटी बेटे के अंतर को, पढ़कर बेटी दफनाओ।
मेरी बेटी अब तुम----------।

मेरी बेटी अब तुम जागो, पढ़ लिख कुछ बन दिखलाओ।
नहीं पैर की जूती औरत, दुनिया को ये बतलाओ ।
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 688

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 2, 2016 at 2:20pm
आदरणीय श्री गिरि राज भंडारी जी रचना को सम्मान देने व अपने कीमती विचार देने के लिए हार्दिक आभार । सादर ।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 2, 2016 at 2:18pm
आदरणीय श्री सतविंदर भाई जी रचना को मान देने व अपने कीमती विचार देने के लिए हार्दिक धन्यवाद । सादर ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 1, 2016 at 10:00pm

आदरनीय सुरेश भाई , कुभुक छन्द आधारित अच्छी गीत रचना हुई है , हार्दिक बधाई ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 1, 2016 at 8:14pm
हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश भाई,बेटियों के नाम इस छ्न्द बद्ध रचना के लिए।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 1, 2016 at 8:01pm
आदरणीय श्री रामबली गुप्ता जी रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार । सादर ।
Comment by रामबली गुप्ता on September 1, 2016 at 6:26pm
बहुत सुंदर छंद हुआ है आद० सुरेश भाई जी बधाई स्वीकार करें
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 29, 2016 at 5:30pm
श्रद्धेय समर कबीर साहब प्रणाम । रचना को पसंद करने और अपने सुन्दर शब्दों से इसकी तारीफ करने के लिए हार्दिक आभार । सादर ।
Comment by Samar kabeer on August 29, 2016 at 2:37pm
जनाब सुरेश कुमार'कल्याण'जी आदाब,बिटिया को समर्पित बहुत बढ़िया कुकुभ छन्द लिखे आपने,दिल से बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service