For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ैर मुरद्दफ़ ग़ज़ल-नूर

२१२२/२१२२/२१२१२ 
.

ज़िन्दगी क़दमों पे थी तब शूल थे गड़े,
जब चले कांधो पे, पीछे... फूल थे पड़े.
.
काम तो छोटे ही आये.. वक़्त जब पडा,
लिस्ट में कितने अगरचे नाम थे बड़े. 
.
एक है अल्लाह ये कह कर गये रसूल,
हमने उस के नाम पर भी कर लिए धड़े.

झाड़ियाँ जो झुक गयी, तूफ़ान सह गयीं,
जड़ से थे उखड़े पड़े जो, तन के थे खड़े.
.
ज़िन्दगी के बाद कासा, ताज बन गया,
कुछ नगीने जिस में थे ईमान के जड़े.
.
हैं बड़ा तेरा ख़ुदा या रब मेरा बड़ा,
“नूर” इस बचकानेपन से कौन अब लडे?
.
निलेश "नूर"
मौलिक / अप्रकाशित 

Views: 968

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 4, 2016 at 7:56pm

शुक्रिया आ. श्री सुनील जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 4, 2016 at 7:56pm

शुक्रिया आ. कल्पना जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 4, 2016 at 7:56pm

शुक्रिया आ. सौरभ जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 4, 2016 at 7:55pm

शुक्रिया आ. कांता  जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 4, 2016 at 7:55pm

शुक्रिया आ. अनुज जी 

Comment by shree suneel on June 2, 2016 at 10:03pm
काम तो छोटे ही आये.. वक़्त जब पडा,
लिस्ट में कितने अगरचे नाम थे बड़े. .. सच्ची बात!
गंभीर मतला औ अन्य उम्दा अशआर के लिए बधाई आपको आदरणीय निलेश जी. सादर.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 2, 2016 at 3:49pm

जय जय !

सूफ़ियाना मतला के लिए विशेष बधाई आदरणीय नीलेश नूर जी

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 2, 2016 at 3:45pm

झाड़ियाँ जो झुक गयी, तूफ़ान सह गयीं,
जड़ से थे उखड़े पड़े जो, तन के थे खड़े.
.
ज़िन्दगी के बाद कासा, ताज बन गया,
कुछ नगीने जिस में थे ईमान के जड़े. बहुत खूब |

Comment by kanta roy on June 2, 2016 at 11:11am
झाड़ियाँ जो झुक गयी, तूफ़ान सह गयीं,
जड़ से थे उखड़े पड़े जो, तन के थे खड़े. ----- हमेशा की तरह लाजवाब है यह । बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय निलेश जी ।
Comment by Anuj on June 1, 2016 at 9:45pm

एक है अल्लाह ये कह कर गये रसूल, 
हमने उस के नाम पर भी कर लिए धड़े.

आदरणीय निलेश जी सच्चाई बयान करते ऐसे शेरों के लिए बधाईयाँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी दोनों सहकर्मी है।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। कई…"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मिथिलेश जी, इतना ही कहूँ,   ... ' पहचान पता न चले। बस। ' रहस्य - रोमांच…"
3 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय उस्मानी जी, लघुकथा की मार्मिकता की परख हेतु आपका दिली आभार। "
3 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा को मान देने हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय, मिथिलेश जी। "
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"उस दफ़्तर में ये अविनाश है कौन? यह संकेत स्पष्ट नहीं हो सका। चपरासी है या बाबू? स्नेहा तो…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"कारण (लघुकथा): सरकारी स्कूल की सातवीं कक्षा में विद्यार्थी नये शिक्षक द्वारा ब्लैकबोर्ड पर लिखे…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सादर नमस्कार आदरणीय। 'डेलिवरी बॉय' के ज़रिए पिता -पुत्र और बुज़ुर्ग विमर्श की मार्मिक…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service