For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (क़ियामत से पहले )

ग़ज़ल (क़ियामत से पहले )

---------------------------------

122 --122 --122 --122

जुदा हो गए हैं वो क़ुरबत से पहले |

क़ियामत उठी है क़ियामत से पहले |

तड़प आह ग़म अश्क वह इम्तहाँ हैं

जो होंगे मुहब्बत कि जन्नत से पहले |

कहीं बाद में हो न अफ़सोस तुम को

अभी सोच लो तरके उल्फ़त से पहले |

ख़ुशी ज़िंदगी भर भला किसने पाई

कई कोहे ग़म हैं मुसर्रत से पहले |

न इतराओ करके तसव्वुर किसी का

अभी ख़्वाब हैं कुछ हक़ीक़त से पहले |

गई महनते शेख़ बेकार साक़ी

सभी पी चुके थे नसीहत से पहले |

उन्हें ख़ूब तस्दीक़ पहचान लेना

नज़र फेर लें जो मुरव्वत से पहले |

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 643

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 6, 2016 at 10:06pm

मोहतरमा अमिता  साहिबा  ,ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 6, 2016 at 10:04pm

जनाब रामबली साहिब ,ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by amita tiwari on April 6, 2016 at 12:44am

खूब सुन्दर रचना ......हार्दिक बधाई

Comment by रामबली गुप्ता on April 5, 2016 at 8:57pm
दिल को छूने वाली ग़ज़ल लिखी आपने आदरणीय। दिली दाद कुबूल फरमाएं।सादर
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 5, 2016 at 8:10pm

 जनाब गुमनाम   साहिब,ग़ज़ल को  पसंद करने और  हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 5, 2016 at 8:09pm

मोहतरम जनाब गोपाल नारायण श्रीवास्तव   साहिब,ग़ज़ल को गहराई से देखने , पसंद करने      और  हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,महरबानी

Comment by gumnaam pithoragarhi on April 5, 2016 at 7:14pm

वाह बहुत खूब ग़ज़ल  हुई है बधाई ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 5, 2016 at 10:36am

जानदार शानदार गजल 

ख़ुशी ज़िंदगी भर भला किसने पाई

कई कोहे ग़म हैं मुसर्रत से पहले |

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 4, 2016 at 9:19pm

मोहतरमा राजेश कुमारी साहिबा ,  ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 4, 2016 at 8:48pm

ख़ुशी ज़िंदगी भर भला किसने पाई

कई कोहे ग़म हैं मुसर्रत से पहले |----वाह्ह्ह 

न इतराओ करके तसव्वुर किसी का

अभी ख़्वाब हैं कुछ हक़ीक़त से पहले |---शानदार 

दिल से दाद हाजिर है इस शानदार ग़ज़ल के लिए आ० तस्दीक जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
22 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
22 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service