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रोटी (लघु कथा )

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ऑफिस में लंच का वक़्त होते ही आज़ाद ने खाना खाने के बाद रोज़ की तरह बाहर  आकर एक मिट्टी के बर्तन में पानी भरके पास में बाजरे के दाने डाल दिए ,ताकि चिड़ियाँ भी अपनी भूक और प्यास बुझ सकें | सामने दो कुत्ते भी इंतज़ार में खड़े हुए थे , आज़ाद ने बची हुई रोटी के दो टुकड़े करके उनकी तरफ फेंक दिए | ....... अचानक बड़ा कुत्ता एक टुकड़ा मुंह में दबा कर दूसरे टुकड़े की तरफ बढ़ने लगा , यह देख कर छोटा कुत्ता फ़ौरन आगे बढ़ा ,...... देखते ही देखते दोनों कुत्ते आपस में झगड़ने लगे ,कभी रोटी के टुकड़े बड़े कुत्ते के मुंह कभी छोटे कुत्ते के मुंह में और कभी ज़मीन पर। ....... आसमान पर एक उड़ती हुई चील यह मंज़र देख कर फ़ौरन नीचे आई और मौक़ा मिलते ही रोटी के टुकड़े लेकर उड़ गई | ..... हैरतज़दा आज़ाद ख़ामोश कभी उड़ती चील की तरफ देखता है कभी दोनों कुत्तों को जो रोटी मुंह में आकर भी नहीं खा सके। --------------

( मौलिक व  अप्रकाशित )

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 5, 2016 at 8:04pm

मोहतरम जनाब लछ्मण रामानुज  साहिब ,लघु कथा को पसंद करने और  हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 5, 2016 at 8:02pm

मोहतरमा रेखा  साहिबा ,लघु कथा को पसंद करने और  हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 5, 2016 at 8:00pm

मोहतरमा राजेश कुमारी साहिबा ,लघु कथा को बारीकी से देखने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,महरबानी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2016 at 6:36pm

छिना झपटी की बढती आदत पर बहुत सुंदर लघु कथा हुई  है  जो सीयास की राजनीती करने वालों के  लिए सन्देश है |

Comment by Rekha on April 5, 2016 at 12:00pm

 प्रेरणादायक कथा |बधाई |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 4, 2016 at 9:34pm

प्रतीकों के माध्यम से आज के वक़्त पर मानव के व्यवहार पर सटीक कटाक्ष किया है आ० तस्दीक जी इसमें कोई दो राय नहीं होगी अगर कहूँ की आज की सियासत में भी यही सब देखने को मिल रहा है और आजकल हमारे  देहरादून में तो बिलकुल यही हो रहा है :))))

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 4, 2016 at 7:19am

जनाब विजय  साहिब ,लघु कथा में गहरायी से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 4, 2016 at 7:18am

जनाब सुनील वर्मा साहिब ,लघु कथा में गहरायी से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by vijay nikore on April 3, 2016 at 3:39pm

बहुत खूब। लघु कथा अच्छी लिखी है। बधाई।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 2, 2016 at 10:56pm

मोहतरमा राहिला  साहिबा  , लघु कथा को गहराई से देखने और हौसला अफ़ज़ाई का  ,  तहेदिल से आपका  शुक्रिया ,महरबानी

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