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हार कर भी जीत जाने का भला क्या अर्थ है? ....ग़ज़ल// डॉ. प्राची

राज़ हर दिल में छुपाने का भला क्या अर्थ है ?
गैर पर हासिल लुटाने का भला क्या अर्थ है ?

हो बहुत विद्वान तुम, पर ये न समझोगे कभी
हार कर भी जीत जाने का भला क्या अर्थ है ?

प्यार में तकरार होना कर लिया मंज़ूर, पर
अजनबी सा पेश आने का भला क्या अर्थ है ?

देह मन का साथ छोड़े, स्वर जुदा हों सत्य से,
इस तरह रिश्ते निभाने का भला क्या अर्थ है ?

सच कहो जब खिलखिलाए एक अरसा हो गया,
जश्न खुशियों का मनाने का भला क्या अर्थ है ?

जम चुके गम के समंदर को ज़रा रिसने भी दो,
सूखता मरुधर बनाने का भला क्या अर्थ है ?

स्वाति तुम ना बन सकोगे और ना ही मैं चकोर,
फिर कहो मल्हार गाने का भला क्या अर्थ है ?

मंज़िलें सबकी अलग सबके अलग हैं रास्ते,
फिर किसी का साथ पाने का भला क्या अर्थ है ?

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by vijay nikore on April 3, 2016 at 3:20pm

//मंज़िलें सबकी अलग सबके अलग हैं रास्ते,
फिर किसी का साथ पाने का भला क्या अर्थ है ?//

एक बहुत ही दिलकश गज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by Madan Mohan saxena on April 1, 2016 at 3:34pm

मंज़िलें सबकी अलग सबके अलग हैं रास्ते,
फिर किसी का साथ पाने का भला क्या अर्थ है
अच्छी ग़ज़ल कही आपने,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।

Comment by Samar kabeer on April 1, 2016 at 3:17pm
मोहतरमा डॉ.प्राची साहिबा आदाब,ग़ज़ल का अभ्यास अच्छा हो रहा है, ये ग़ज़ल भी अच्छी कही आपने,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
Comment by Sushil Sarna on April 1, 2016 at 1:57pm

देह मन का साथ छोड़े, स्वर जुदा हों सत्य से,
इस तरह रिश्ते निभाने का भला क्या अर्थ है ?

बहुत ही गहरा अर्थ लिए इस दिलकश ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 1, 2016 at 10:25am

आदरणीया प्राची जी ,,बिलकुल नए अनदाज में लिखी हुई इस ग़ज़ल के हर शेर के लिए तहे दिल दाद स्वीकार करें सादर बधाई के साथ 

Comment by narendrasinh chauhan on March 30, 2016 at 4:22pm

मंज़िलें सबकी अलग सबके अलग हैं रास्ते,
फिर किसी का साथ पाने का भला क्या अर्थ है ? बहोत सुन्दर 

खूब सुन्दर रचना 

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