For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुद को प्रांजल कैसे लिख दूँ

खुद को शुद्ध नहीं कर पाया, तुझ को कश्मल कैसे लिख दूँ।
मन पर पाप का बादल छाया, खुद को निर्मल कैसे लिख दूँ।।

प्रतिपल भजन लोभ के गाऊँ, हर पल स्वार्थ साधना चाहूँ।
लोभ का दमन नहीं कर पाया, खुद को निश्छल कैसे लिख दूँ।।

भ्रम की पर्त चढ़ी है नैन, कटती नहीं कठिन ये रैन।
तिमिर को दूर नहीं कर पाया, आत्मा उज्जवल कैसे लिख दूँ।।

चलता जाता मैं प्रतिदिन, पकड़नें अपना ही प्रतिबिम्ब।
अब तक प्राप्त नहीं कर पाया, खुद को निश्चल कैसे लिख दूँ।।

कण्ठ तक आ पहुँची है प्यास, हृदय में मात्र भरी है आग।
अभीप्सा शांत नहीं कर पाया, आँख में है जल कैसे लिख दूँ।।

अभी तक मिला नहीं तुझसे, शिकायत है मेरी खुदसे।।
वासना दूर नहीं कर पाया, खुद को प्रांजल कैसे लिख दूँ।।

मौलिक अप्रकाशित

Views: 593

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 31, 2015 at 7:48pm
सादर आभार आदरणीय शशि भँसल जी
Comment by shashi bansal goyal on August 31, 2015 at 7:02pm
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 31, 2015 at 6:41pm

आदरणीय सुभश सर सादर अभिवादन; अभी सीखने की कोशिश में हूँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 31, 2015 at 6:36pm

प्रयासरत रहें, भाईजी. शुभकामनाएँ. 

आपकी रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी. विश्वास है, आपको पता होगा कोई सार्थक रचनाकर्म किन-किन विन्दुओं से संतुष्ट होता है.

शुभ-शुभ

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 29, 2015 at 11:44pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय समर कबीर सर

Comment by Samar kabeer on August 29, 2015 at 11:39pm
जनाब पंकज कुमार मिश्रा जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 28, 2015 at 10:29pm
आदरणीय काँटा राय मैम मिथिलेश सर और नरेंद्र सिंह चौहान सर आप सभी को सादर प्रणाम।
ऊर्जान्वित करने के लिए बहुत बहुत आभार।
Comment by kanta roy on August 28, 2015 at 10:20pm

खुद को शुद्ध नहीं कर पाया, तुझ को कश्मल कैसे लिख दूँ।
मन पर पाप का बादल छाया, खुद को निर्मल कैसे लिख दूँ।।

..........वाह !!!  बेहद शानदार ग़ज़ल हुई है ये। बधाई आपको आदरणीय पंकज जी

Comment by narendrasinh chauhan on August 28, 2015 at 10:19am

बहुत सुन्दर प्रस्तुति 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 28, 2015 at 1:47am

आदरणीय पंकज जी, बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है. आपको हार्दिक बधाई इस उम्दा प्रस्तुति पर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
18 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
20 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
Thursday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service