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1222 /  1222  /1222 / 1222

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जमाना बाज कब आता है हमको आजमाने से

न हो जाना कहीं जख्मी कभी इसके निशाने से  

       

हमेशा जंग वो जीता किये हों सर कलम जिसने 

कभी जीता नही कोई भी अपना सर कटाने से 

 

करे जो बात दुनिया की उसी की लोग सुनते हैं

किसी को वास्ता कैसा भला तेरे फसाने से 

 

कभी धेला तलक बांटा नहीं जिसने कमाई का

लगा है बांटने सिक्के वो सरकारी खजाने से

 

शिकायत लाख तुम रखना दिलों में दोस्त तुम मेरे  

मैं दिल को जीत ही लूँगा मुहब्बत के तराने से

 

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 ( मौलिक व अप्रकाशित ) 

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Comment by Sachin Dev on July 17, 2015 at 2:37pm

आदरणीय सौरभ जी, आपका हार्दिक आभार प्रोत्साहन के लिए ! 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 16, 2015 at 10:23pm

आपकी ग़ज़ल केलिए हार्दिक बधाई सचिन भाई..

Comment by Sachin Dev on July 9, 2015 at 1:15pm

हौसला अफजाई का हार्दिक शुक्रिया भाई राहुल दांगी जी............. 

Comment by Sachin Dev on July 9, 2015 at 1:15pm

आदरणीय श्री सुनील जी आपका हार्दिक आभार ...... 

Comment by Sachin Dev on July 9, 2015 at 1:14pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी....... 

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 8, 2015 at 11:21pm
वाह वाह वाह बहुत खूब।
Comment by shree suneel on July 8, 2015 at 9:29pm
व्वाहह!. ख़ूबसूरत.. ख़ूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय सचिन देव जी. बधाई हो आपको.
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 8, 2015 at 9:01pm

कभी धेला तलक बांटा नहीं जिसने कमाई का

लगा है बांटने सिक्के वो सरकारी खजाने से-----------------स चिन भाई , लाजवाब

Comment by Sachin Dev on July 8, 2015 at 1:29pm

आ. भाई कृष्ण मिश्रा जी ....... गजल पर आपका प्रोत्साहन पाकर प्रसन्नता हुई...... आपका हार्दिक आभार ! 

Comment by Sachin Dev on July 8, 2015 at 1:28pm

आदरणीय जे एल सिंह जी..... गजल आपको पसंद आई इसके लिए आपका हार्दिक आभार .... काफी दिनों के बाद आपको अपनी पोस्ट पर पाकर बेहद सुखानुभूति हो रही है ...... ऐसे ही स्नेह बनाए रखें .....

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