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कुंठाओं के झरे पात,
आशाओं का हो सुप्रभात
दफ़न हो घात प्रतिघात
खुशिओं के सदा बहें प्रपात
चैन की आए रात
बची रहे इंसानियत की जात
चलती रहे गीत गजलों की बात
हम समझें सबके जज्बात
खुश्बू भरे मौसम से हो मुलाकात
जख्मी रिश्तों के बदले हालात
जहरीली हवाएँ न करे आघात
कलुषित न हो मन आँगन
सुगन्धित हो यह बरसात
भावनाओं को लग पंख
मिलन की मिले सौगात
बौराए पंछी को मिले मीत
बिछुड़न से मिले राहत

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Shyam Mathpal on March 12, 2015 at 3:06pm

Aadarniya Hari Prakash dubey Ji,

Aapki hosla afjai ke liye hriday se aabhar. sukriya.

Comment by Hari Prakash Dubey on March 12, 2015 at 2:15pm
आदरणीय श्याम मठपाल जी, सुन्दर भावों से सुसज्जित रचना, बहुत बहुत बधाई ! सादर
Comment by Shyam Mathpal on March 12, 2015 at 2:09pm

Aadarniya Sethi Ji

Chalo khwab hi sahi par acchhe to ho hain. sukriya.

Comment by Shyam Mathpal on March 12, 2015 at 2:08pm

Aadarniya K.Mishra ji,Dr.Vijay Shanker,Mohan Sethi wa Laxman dhami Ji,

Aap logon ke vichar mere liye bahut bahumulya hain . Aap sabka kotish dhanyabad..... aabhar.

Aapke sujhawon ki liye bhi sukriya.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2015 at 11:38am

आदरणीय भाई मठपाल जी अच्छी भावाभिव्यक्ति है .. बहुत बहुत बधाई

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 12, 2015 at 6:01am

ख़वाब अच्छे हैं ....क्षमा चाहूँगा आज के हालात में इसे ख़वाब ही कहना पड़ेगा ....भावपूर्ण सुंदर रचना ...बाधाई 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 12, 2015 at 5:09am
बची रहे इंसानियत की जात
चलती रहे गीत गजलों की बात
वह , बात है, बहुत ही प्रभावशाली , बहुत बहुत बधाई , आदरणीय श्याम मठपाल जी , सादर।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 11, 2015 at 10:28pm

बिछुड़न से मिले राहत..यहाँ तुकांत नही बैठा!! हो सके तो बदल लें! सुन्दर तुकांत कविता पर हार्दिक बधाइयाँ आ० shyam mathpal जी!

Comment by Shyam Mathpal on March 11, 2015 at 8:39pm

Aadarniya Shakur Ji,

Aapko rachna acchhi lagi. Bahut sukriya-  aabhar.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 11, 2015 at 8:30pm

आदरणीय मठपाल जी अच्छी भावाभिव्यक्ति है बहुत बहुत बधाई

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