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ग़ज़ल -- नफ़रत नहीं तो उस से मुझे प्यार भी नहीं। ( इस्लाह हेतु )

221-2121-1221-212

नफ़रत नहीं तो उस से मुझे प्यार भी नहीं.
मेरे लिए वो शख़्श मगर अजनबी नहीं।

दुनिया में बुतपरस्त फ़क़त मैं नहीं ख़ुदा.
तेरे जहाँ में आशिक़ों की कुछ कमी नहीं।

कुछ तो मेरा नसीब ही सहरा की धूप है.
उस पर तुम्हारे प्यार की बौछार भी नहीं।

सहरानवर्द दिल है मिरा आप के बग़ैर.
जब से गए हैं आप मेरी ज़िन्दगी नहीं।

प्यालों को तोड़ कर दिल ए बेज़ार कह उठा.
जामे अजल नहीं तो कोई मयकशी नहीं।

इतना न ग़ौर से मुझे सुनते सभी यहाँ.
करता मैं आज दिल से अगर शायरी नहीं।

रोते हुओं को तुमने हँसाया है कब 'दिनेश'
इस वजह् भी नसीब में तेरे खुशी नहीं।

-- दिनेश कुमार ०९/०१/२०१५

( मौलिक व अप्रकाशित )

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Comment by दिनेश कुमार on January 13, 2015 at 6:34pm
आ.तिलक राज सर जी,आपने ग़ज़ल पढ़ी और सराहना के दो शब्द कहे, बहुत बहुत दिली शुक्रिया। आशीष बनाए रखिएगा।
Comment by दिनेश कुमार on January 13, 2015 at 6:30pm
आ.गिरिराज सर जी,हौसला अफजाई का बहुत शुक्रिया। अब मुझे भी मिसरा द्विअर्थी लगने लगा है।बदलने की कोशिश करूँगा सर जी। आशीष बनाए रखिएगा।
Comment by Tilak Raj Kapoor on January 13, 2015 at 5:33pm

बहुत खूब।

मफ़ऊलु फ़ायलात मफ़ाईलु फ़ायलुन् 

मैं जि़न्‍दगी का साथ निभाता चला गया
हर फि़क्र को धुँए में उड़ाता चला गया। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 13, 2015 at 7:34am

आदरणीय दिनेश भाई , खूब सूरत गज़ल हुई है , निम्न अशआर के लिये और ग़ज़ल के लिये हार्दिक बधाई ।

सहरानवर्द दिल है मिरा आप के बग़ैर.
जब से गए हैं आप मेरी ज़िन्दगी नहीं।

प्यालों को तोड़ कर दिल ए बेज़ार कह उठा.
जामे अजल नहीं तो कोई मयकशी नहीं  -- बहुत खूब आदरणीय ।

एक बात -- क्या ख़ुदा के साथ मिसरे मे बुतपरस्त आना  मूर्तिपूजक की ओर इशारा नहीं करता ? अगर ऐसा है तो अर्थ कुछ और भी निकलेगा , एक बार सोच लीजियेगा ।

Comment by दिनेश कुमार on January 13, 2015 at 6:32am
शुक्रिया आ.सौरभ सर जी। स्नेह बनाए रखिएगा।
Comment by दिनेश कुमार on January 13, 2015 at 6:30am
शुक्रिया मदनमोहन जी।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 12, 2015 at 11:02pm

आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति पर बधाइयाँ , भाई दिनशजी.

Comment by Madan Mohan saxena on January 12, 2015 at 3:20pm

बेहद उम्दा

Comment by दिनेश कुमार on January 11, 2015 at 8:11pm
हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया भाई खुर्शीद जी।
Comment by दिनेश कुमार on January 11, 2015 at 8:09pm
शुक्रिया आदरणीय मोहन जी।

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