For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सहनशक्ति

उदास मन से ही सही,
ले चलो मुझे अपने
उस नरक के अंदर
जिसमे तुम सदियों से
रह रही हो ,
सब दुःख तुम
स्वयं सह रही हो.
एक बार मैं भी तो जानू
स्त्रियों को इतनी
सहनशक्ति
कहाँ से मिलती है?

विजय प्रकाश शर्मा
अप्रकाशित व मौलिक

Views: 511

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on October 8, 2014 at 5:22pm

आ ० विजय मिश्रा जी ,
रचना पर आपकी सराहना पाकर धन्य हुआ. बहुत आभार.

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on October 8, 2014 at 5:19pm

रचना आपको पसंद आयी,आप की सराहना पा गई.बहुत आभार आ ० विजय निकोर जी.

Comment by vijay nikore on October 8, 2014 at 1:20pm

अति सुन्दर। बधाई, आदरणीय विजय जी।

Comment by विजय मिश्र on October 8, 2014 at 12:01pm
आदरणीय ! बहुत कम में कितना कुछ ! हृदयस्पर्शी रचना , आभार |
Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on October 8, 2014 at 10:54am

आ ० डॉ. विजय शंकरजी,
आपका बहुत आभार , स्नेह बनाये रखें.

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 7, 2014 at 9:45pm
बहुत सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय विजय प्रकाश शर्मा जी, बधाई .
Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on October 7, 2014 at 12:37pm

आपका बहुत बहुत आभार आ ०  केवल प्रसाद जी,

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on October 7, 2014 at 12:36pm

आपका बहुत बहुत आभार आ ० राजेश कुमारी जी.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 6, 2014 at 9:15pm

आ0 विजय भाईजी, सुन्दर अभिव्यक्ति के माध्यम से एक विचारणीय तथ्य प्रकाश में आया।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 6, 2014 at 6:17pm

आपने चंद पंक्तियों में दिल के उस कौने में झाँकने की कम से कम कोशिश तो की ...बहुत खूब ..सुन्दर रचना बधाई आपको आ० विजय प्रकाश जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय रिचा जी बधाई स्वीकार करें"
25 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय मिथिलेश जी बधाई स्वीकारें"
26 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इस ज़र्रा नवाज़ी का सहृदय शुक्रिया आदरणीय धामी सर"
30 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इस ज़र्रा नवाज़ी का सहृदय शुक्रिया आदरणीय"
31 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपके मंच के बेहद महान आदरणीय सदस्य सौरभ जी में ये अहं नहीं तो और क्या है_ 1  समर साहब से तीन…"
36 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आभार। इंगित मिसरे पर…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई आजी तमाम जी , सुंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बेहद दिलकश ग़ज़ल ! शानदार! ढेरो दाद।"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"//आपको फिलहाल कोई ऐसी किताब पढ़नी चाहिए जो आपका अहं कम कर सके//  आज़ी तमाम महोदय ! इस…"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"//उसकी तारीफ़ में जो कुछ भी ज़ुबां मेरी कहेउसको दरिया-ए-मुहब्बत की रवानी लिखना// वाह! नयापन है इस…"
2 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ! अच्छी ग़ज़ल से मुशाइरा आरंभ किया आपने। बहुत बधाई! // यूँ वसीयत में तो बेटी…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हर कहानी को कई रूप रुहानी लिखना जाविया दे कहीं हर बात नूरानी लिखना मौलवी हो या वो मुल्ला कहीं…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service